बाली उमरिया में लगा प्रेम रोग- 9

(Chut Chut Ki Kahani)

चुत चुत की कहानी में एक लड़का अपने दोस्त की मम्मी से चुदाई करना सीख रहा था. दिन में उसने आंटी को पहली बार चोदा तो वह रात में कुंवारी चूत फाड़ने के लिए तैयार हो गया.

कहानी के आठवें भाग
पहली बार के सेक्स की बेचैनी
में अब तक आपने पढ़ा कि बंटू और मोंटी दोनों पम्मी की सील तोड़ने में असफल रहे थे।
इस के बाद बंटू अपनी सैक्स गुरु सिमरन के निर्देश पर सिमरन की चूत चाट कर उसे झड़ाया, बदले में सिमरन ने उसे ‘ब्रेस्ट फकिंग’ का ईनाम दिया।

उसी रात बंटू ने पम्मी को अपनी जुबान से उसकी चूत चाट कर चरमसुख प्रदान किया.
अगले दिन बंटू सिमरन को चोदने पहुंचा और सिमरन के पूरे बदन को चूम चूम के उसकी वासना को जगाया।

अब आगे चुत चुत की कहानी:

जब बंटू ने दोनों स्तनों की निप्पलों को जी भर के चूस लिया तो कामातुर सिमरन से रहा नहीं गया, उसने जबरदस्ती बंटू को अपनी चूत की ओर धकेला क्योंकि वह एकदम उत्तेजित हो चुकी थी।

बंटू ने रात के अपने ओरल के अनुभव को याद किया और सिमरन आंटी की चूत में मुंह लगा दिया।
धीरे धीरे बंटू सिमरन की चूत में रम गया।

सिमरन की चूत के भगोष्ठों को चूसने के कारण चूत से रस बहने लगा। उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लग गईं।
उसकी चूत में सनसनी बढ़ रही थी, उसने बंटू को कहा- अब मेरी क्लिटोरिस को चूस!

जैसे ही बंटू ने क्लिटोरिस को छेड़ा, सिमरन की सिसकारियों में और मस्ती बढ़ गई।

कुछ ही देर में सिमरन की चूत पर बंटू की मेहनत रंग लाई, सिमरन के शरीर की नस नस में ऐंठन और चूत में फड़कन होने लगी।

जब सिमरन से रहा नहीं गया तो उसने बंटू से कहा- अब जल्दी से चूत में लंड डाल दे मेरे पुत्तर!

बंटू थिरकती सिमरन के ऊपर चढ़ा और अपना लंड इस तरह डाला जैसे चूत में लंड से बोरिंग कर रहा हो।

सिमरन बंटू के इस तरह चूत में सीधा लंड डालने से सुखद अहसास से भर गई.
उसकी चूत रगड़े मांग रही थी इसलिए उसने बंटू को कहा- बंटू, जरा हौले हौले धक्के लगाना शुरू कर!

बंटू संयमित तरीके से अनुभवी चूत को चोदने का अनुभव हासिल कर रहा था।

सिमरन इस नये नौजवान के नये लंड को अपनी चूत में पाकर अत्यंत प्रसन्न थी और उसके पूरे मज़े ले रही थी।

बंटू की अभी तक की स्थिति देखकर निश्चिंत भी थी कि अब बंटू किसी भी लड़की या औरत को अपने लंड से तृप्त करने में सक्षम हो गया है।

सिमरन के स्तन चूसते हुए कमर को रुक रुक कर, तरह-तरह से हिलाते हुए बंटू सिमरन की चूत को लगातार घर्षण सुख पहुंच रहा था।

सिमरन को यूं भी झड़ने में अधिक समय नहीं लगता इसलिए वह लगातार झड़ रही थी।

चुदाई में मर्द का शीघ्र स्खलित होना शीघ्रपतन नाम की बीमारी माना जाता है किंतु जब कोई औरत शीघ्र चरमसुख प्राप्त करके जल्दी स्खलित होने वाली हो तो यह चुदाई में लिप्त औरत और मर्द दोनों के लिए वरदान की तरह काम करता है।

सिमरन ने जोर-जोर से सिसकारियां भरते हुए बंटू को कहा- मेरे राजा, अब कस कस के धक्के लगा! मेरी चूत अब जोरदार चरम सुख चाहती है।

बंटू ने गर्व से भरकर पूरे जोश के साथ धक्के लगाना शुरू किया।

उसने देखा कि सिमरन के मुंह से चीखें निकल रही हैं और उसका शरीर बार-बार अकड़ के ढीला पड़ रहा है.
लेकिन वह रुका नहीं और लगातार ऊंचा होकर बोरिंग स्टाइल में धक्के लगाता रहा।

25-30 धक्कों के बाद उसके लंड में बहुत जोरों की सनसनी हुई और रात भर का लंड में रुका हुआ लावा सिमरन की चूत में पूरे वेग के साथ उछलता हुआ निकल गया, जिसे बंटू ने दम लगा के सिमरन की चूत की गहराइयों में छिड़क दिया।

बंटू पसीना पसीना होकर सिमरन के ऊपर पूरी तरह तृप्त और पस्त पड़ा हुआ था।
सिमरन की आंखें बंद हो चुकी थीं, उसके होंठ खुश्क हो चुके थे, उसका पोर पोर चरमसुख की ऊष्मा से भर गया था।

शादी के बाद यह उसका पहला नौजवान लंड था.
और वह यह भी जानती थी कि बंटू का लंड पहली बार उसी की चूत में पूरा घुस पाया था।

सिमरन को चोदने के बाद बंटू ने सोचा कि काश ऐसी चुदाई वह पम्मी की कर पाता।

बहुत देर बाद दोनों सामान्य हुए।

बंटू का केला सिकुड़ के पुनः मूंगफली बन चुका था.
उसका वीर्य सिमरन की चूत से उसके रस के साथ बह कर बाहर आ रहा था।

सिमरन ने नैपकिन से अपनी चूत पोंछी और फिर बंटू के नर्म पड़ चुके लंड को पोंछते हुए कहा- मेरा नन्हा आशिक आज चुदाई की परीक्षा में मेरिट में आ गया है।

बंटू को यह सब सुन कर अत्यधिक प्रसन्नता हुई क्योंकि ये शब्द सुनने को उसके कान तरस रहे थे।
उसकी आंखें एक परिपक्व औरत को झड़ा के गर्व से चमक रही थीं।

अब कल पम्मी की रवानगी थी इसलिए उसे सिमरन की चूत की चुदाई के इस शानदार अनुभव के साथ आज रात को ही पम्मी की चूत की यादगार चुदाई कर उसे अच्छी तरह से तृप्त करना था।

उसने सिमरन से कहा- थैंक्यू आंटी, तुम्हीं ने मेरा आत्मविश्वास फर्श से अर्श तक पहुंचाया है।

सिमरन बोली- वह तो ठीक है बेटा … लेकिन तूने भी खूब संयम से काम लिया है, अब तेरी काम-यात्रा में कोई बाधा नहीं आने वाली है। मेरी दुआ है कि जिंदगी में तेरे आनन्द में कोई कमी नहीं आये।

दो नंगे बदन आपस में लिपट के बहुत देर तक एक दूसरे के जिस्म का आनन्द लेते रहे।

मोंटी के आने का समय होने वाला था, दोनों ने फटाफट कपड़े पहने.
बंटू ने सिमरन को चूम के विदा ली और अपने घर की तरफ निकल गया।

सामने ही पम्मी मिल गई.
उसने पूछा- भाई तू रोज चार से छः के बीच में कहां जाता है?
बंटू ने जवाब दिया- अपने गुरुजी के पास जाता हूं।
पम्मी ने पूछा- कौन से गुरुजी?
बंटू ने जवाब दिया- कल मिलवाऊंगा!

फिर बंटू ने कहा- घूमने चलें क्या?

इतने में अंदर से अंजू की आवाज आई- मैं चाय के साथ पकौड़े बना रही हूं, अभी कहीं मत जाओ।
पम्मी खुश हो गई और बोली- बुआ पकौड़े … आज क्या बात है?
अंजू ने कहा- कुछ नहीं, तू कल जा रही है और मुझे पता है कि तुझे मेरे हाथ के पकौड़े बहुत पसंद हैं इसलिए मेरा प्रेम उमड़ रहा है।

पम्मी ने कहा- वाह बुआ, मजा आ गया!

दोनों ने जी भर के पकौड़े खाए।

उसके बाद उन दोनों ने कहा- अब हम रात को केवल थोड़े से दाल चावल खाएंगे.
अंजू ने हामी भर ली।

दोनों पकौड़े चाय के बाद में थोड़ा बाहर घूमने निकले.
लौटते में बंटू को वहां एक मित्र मिल गया।

बंटू उससे बातों में लगा तो पम्मी घर जल्दी वापस आ गई।

रात में दोनों डिनर में दाल चावल खा रहे थे लेकिन दोनों के तनबदन में गुदगुदी होने लगी थी।
पम्मी तो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो रही थी क्योंकि उसे पक्का विश्वास था कि आज उसका अक्षत कौमार्य, निश्चित रूप से क्षत विक्षत हो कर रहेगा।

खाना खाकर पम्मी बोली- बुआ मैं कमरे में जा रही हूं, मुझे नींद आ रही है, मैं जल्दी सोऊंगी!
बुआ ने मुस्कुरा कर जवाब दिया- जा बेटा जा!

पम्मी ऊपर बंटू के कमरे में चली गई।

बंटू पम्मी के पीछे एकदम जाना नहीं चाह रहा था क्योंकि मन में चोर जो था।
उसे ऐसा लगा कि यदि एकदम उसके पीछे गया तो जैसे मम्मी को शक हो जाएगा।

आधा घंटा टीवी देखने के बाद में बंटू मम्मी को गुड नाइट बोलकर अपने कमरे में पहुंचा।

उसने दरवाजा खोला तो कमरे में अंधेरा था और एक लाल रंग का नाइट बल्ब जल रहा था।

पम्मी कहीं दिखाई नहीं दी.
उसने बाथरूम में भी जाकर देखा, वह वहां भी नहीं थी।

वह चारों ओर नजर दौड़ाने लगा तो पम्मी दरवाजे के पीछे पूरी तरह नग्न अवस्था में खजुराहो की मूर्ति बनी खड़ी मुस्कुरा रही थी।

बंटू के पूरे शरीर में मस्ती की एक तरंग सी दौड़ गई.
वह आगे बढ़ा और पम्मी को अपनी बाहों में लेकर उसके नर्म होठों पर अपने गर्म होंठ रख दिए।

पम्मी ने भी बंटू के लोअर को अंडरवियर सहित नीचे खिसका दिया.
इस बीच बंटू ने अपनी टी शर्ट उतार फैंकी।

कामाग्नि में जल रहे दो नौजवान जिस्म आग से आग को ठंडा करने की कुदरती प्रक्रिया में आगे बढ़ रहे थे।
एक दूसरे की जुबान आपस में टकरा रही थीं.

पम्मी का हाथ बंटू का लंड सहला रहा था तो बंटू उसके स्तनों को दबा के उसकी वासना को भड़का रहा था.

पम्मी ने बंटू के होठों को छोड़ा और उसका मुंह अपने स्तनों पर टिका दिया।

बंटू ने अपनी उत्तेजना को संभाला और पम्मी को बिस्तर की ओर ले गया।

पम्मी ने बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियां बिछा रखी थीं.
बंटू जब शाम को दोस्त के पास रुका था, तब वह किसी फूल वाले से गुलाब की पंखुड़ियां ले आई थी।

तब बंटू ने पम्मी को फिर से बाहों में भींच लिया और उसको आहिस्ता से फूलों की सेज पर लिटा दिया।
उसके बाद बंटू ने फिर उसके पूरे जिस्म को हाथों और होठों से मथ कर, कामवासना का मक्खन उसकी चूत पर इकट्ठा करना शुरू किया।

पम्मी की सांसों में गर्मी और आंखों में नशा भर गया था।
वह बंटू की उंगलियों और होठों की एक एक हरकत का आनन्द ले रही थी।

बंटू ने पम्मी के निप्पल को मुंह में लेकर चूसना शुरू किया.
पम्मी की वासना में उबाल आने लगा।
उसके मुंह से जोर-जोर से सिसकारियां निकल रही थीं.

बंटू ने उसकी जांघों को चौड़ा करके पम्मी के स्वर्ग के प्रवेश द्वार पर अपना मुंह लगा दिया।
पम्मी की चूत के नशीले रस में बंटू के होंठ भीग गए।

बंटू ने अपने होठों पर जुबान फिरा कर इस नशीले रस का मजा लिया।
उसके बाद बंटू पम्मी की कामरस छोड़ती हुई चिकनी चूत से कुत्ते की तरह रस को चाटते हुए चटखारे लेने लगा।

पम्मी के बदन में आनन्द की एक हिलोर उठी और उसकी चूत यह उम्मीद करने लगी कि यदि बंटू इसको अच्छे से चूस ले तो मैं जल्दी से झड़ जाऊं।

उसकी आवाज मस्ती में लड़खड़ा रही थी, वह बंटू से बोली- जु..बान के स्ट्रो.. क ल..गा!

बंटू पम्मी की कुइया से नमकीन पानी उलीचने लगा।
पम्मी की उत्तेजना और बढ़ी, वह बड़बड़ाने लगी- जो..र से चू..स भा..ई … जो..र से चू..स!

बंटू उसकी चूत के गुलाबी तितली जैसे भगोष्ठों को मुंह में खींच खींच कर चूसने लगा।

पम्मी की बेचैनी लगातार बढ़ रही थी.
उसने बंटू को कहा- मे..रे अ.ना..र..दा..ने को चू..स बंटू … मेरी भग..नासा को चूस!

पम्मी की चूत तड़कने ही वाली थी, वह सूखे पत्ते की तरह थिरकने लगी।
बंटू समझ गया कि पम्मी की चूत में ऑर्गेज्म एक चक्रवात की तरह उठ रहा है, उसने बिना देर किए औरत के शरीर के सबसे अधिक संवेदनशील अंग क्लिटोरिस को होठों में जकड़ लिया।

पम्मी दीवानों की तरह घुटी हुई आवाज में चीखने लगी, उसका शरीर अकड़ के बिस्तर से ऊपर उठने लगा।
बंटू ने क्लिटोरिस को जोर जोर से जुबान से रगड़ा और पम्मी की चूत से ऑर्गेज्म बांध तोड़ के बह निकला।

इसके पहले कि चूत का स्पंदन मंद हो, बंटू ने अपने लंड पर पम्मी के चूत रस को लगाकर लंड को चिकना किया और उसके पैर ऊपर की ओर मोड़ के, उसकी चूत को चौड़ा किया और अपने लंड के सुपारे को रख कर, एक करारा झटका मार के पूरा लंड पम्मी की चूत में घुसेड़ दिया।

पम्मी की चूत जो अभी तक फड़क रही थी एकदम से चिरमिरा उठी।
बंटू का लंड पम्मी की कौमार्य झिल्ली को चीरता हुआ पम्मी की चूत में जड़ तक समा गया था।

अठारह साल से अभी तक सहेज कर रखी हुई पम्मी की चूत की कौमार्य झिल्ली टूट चुकी थी।
पम्मी के मुंह से मीठे दर्द से भरी लेकिन दबी हुई चीख निकली।

बंटू उसके चेहरे को ध्यान से देख रहा था.
पम्मी सील टूटने की इस वांछित पीड़ा को सहन कर चुकी थी.
शीघ्र ही उसके चेहरे पर अपने मनपसंद साथी के लंड पर अपना कुंआरापन निछावर करने का दर्प उभर आया था।

जब पम्मी के चेहरे पर एक दिव्य मुस्कान उभरी, उसने हौले हौले धक्के लगाना शुरू किया।
पहली बार अपनी कुंआरी चूत में लंड के घर्षण सुख को कोई औरत बयान नहीं कर सकती।

कुछ ही देर में पम्मी की एक और ऑर्गेज्म के लिये ठिठकी हुई चूत, लगातार रगड़े मांग रही थी।

बंटू, लम्बी लम्बी सांसें ले कर अपनी उत्तेजना पर काबू पा चुका था और रुक रुक के धक्के लगा रहा था।

अब बंटू पम्मी को कामदेव लग रहा था.
हर धक्के के जवाब में उसने अपनी कमर को उछालना शुरू कर दिया।
उसकी चूत में आनन्द की लहरें लगातार उछाले मार रही थीं।
उसका मन कर रहा था कि बंटू एक बार जम के रगड़ दे.

दिन में सिमरन को चोदने के बाद अब बंटू के लंड से भी वीर्य पुनः बाहर आने को बेचैन हो रहा था।

पम्मी ने भी तभी बंटू को बोला- अब जोर से रगड़ दे मेरे चोदू भाई!
बंटू खुश हो गया और दोनों हाथ पलंग पर रख कर पम्मी के स्तनों को चूसते हुए पूरे जोश के साथ दमदार धक्के लगाने लगा।

कुछ ही देर में उसके लंड में वीर्य का एक तूफान सा उठा और पम्मी की चूत में समा गया।
पम्मी के शरीर की एक एक नस खिंच रही थी और उसकी चूत एक बार फिर, प्रचंड रूप से हो रहे स्खलन का आनन्द ले रही थी।

बंटू के लंड की नसें भी फड़क फड़क के बंटू को स्वर्गिक आनन्द की अनुभूति करा रही थीं।

दोनों पसीने में लथपथ, पस्त हो चुके थे, दोनों अभी भी गहरी सांसें भर रहे थे.
बहुत देर लगी दोनों को अपनी आंखें खोलने में!

पम्मी ने जब आंखें खोली तो उसने बंटू को उसके चेहरे पर निखरे हुए सौंदर्य को निहारते हुए पाया.
उसकी आंखें मारे खुशी के भीग गईं।

उसने बंटू को अपनी बाहों में समेट लिया और उसके होंठ चूमने के बाद मुस्कुराते हुए बड़े लाड़ से बोली- भेनचोद!
बंटू ने मुस्कुराकर तृप्त पम्मी के इन शरारत भरे शब्दों का मजा लिया।

दोनों वॉशरूम गए और वीर्य में सने अपने अंगों को अच्छे से धो कर वापस आए।

उसके बाद बंटू ने मुस्कुरा के पूछा- पम्मी, कैसा लगा पहली बार लंड ले के?
“धीरज का फल मीठा होता है न!” पम्मी ने जवाब दिया- भाई, कौन सी कली फूल बनना नहीं चाहती? मैं भी खिलना चाहती थी इसलिए मैं तो निहाल हो गई। यह भी अच्छा हुआ कि मोंटी मेरी सील नहीं तोड़ पाया. नहीं तो मुझे सारी उम्र ग्लानि रहती कि मेरी सील मेरे भाई ने नहीं, उसके दोस्त ने तोड़ी।

ऐसी चुत चुत की कहानी की रसभरी बातें करते हुए दोनों पता नहीं कब सुख की नींद में सो गए।

अभी दोनों जवानी की दहलीज पर थे और बंटू तो सिमरन को चोद के चुदाई का मजा पहले ही ले चुका था, वह रात में अपनी कमसिन बहन को केवल एक बार चोद के कैसे संतुष्ट होता?

वह रात में सोच कर के सोया था कि सुबह एक बार और पम्मी की चुदाई करनी है क्योंकि फिर वो वापस जाने वाली है.
और उधर पम्मी, जिसने पहली बार किसी लंड के मजे लिए थे, वह भी एक ही बार की चुदाई से कैसे तृप्त हो जाती?

सुबह-सुबह जैसे लड़कों के लंड में प्राकृतिक तनाव रहता है, वैसी ही बेचैनी पम्मी ने भी अपनी चूत में महसूस की.
उसे लगा कि उसकी चूत एक बार फिर बंटू का लंड अपने भीतर लेना चाह रही है।

उसने सोचा कि एक बार और चुदवा ही लेती हूं, उसके बाद तो मैंने चले ही जाना है. फिर पता नहीं मेरी इस गर्म चूत को, यह लंड कब नसीब होगा?

मेरे प्रिय पाठको, मेरी चुत चुत की कहानी ने आपकी वासना को भड़का के निश्चित रूप से सनसनी का आनन्द दिया होगा?
और आप बंटू-पम्मी की अगली कामलीला तथा सिमरन के रहस्यमयी व्यवहार के बारे में और अधिक जानने को भी उत्सुक होंगे।

यदि हां, तो अपना विश्लेषण लिख भेजिए और इंतजार कीजिए कल आने वाली अंतिम कड़ी का!
मेरी आईडी है
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चुत चुत की कहानी का अगला भाग: बाली उमरिया में लगा प्रेम रोग- 10

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