यौन तृप्ति के लिए गैर मर्द की चाहत- 3

(Real Cheat Wife Kahani)

रियल चीट वाइफ कहानी में पढ़ें कि मैंने अपनी पड़ोसन और उसके पति की चुदाई देखी तो उसके पति से चुदाई का मजा लेने का मन बना लिया. जैसे मैंने गैर मर्द के लंड का मजा लिया, आप कहानी का मजा लें.

कहानी के पिछले भाग
सहेली के पति के लंड का मजा लेने की लालसा
में आपने पढ़ा कि मैंने अपनी जवान पड़ोसन और सहेली को उसके पति से जोरदार चुदाई का मजा लेती देखा. उसके बाद मैं अपने पति से चुदी.
पर मेरे मन में अब सहेली के पति के साथ सेक्स करने की इच्छा बलवती हो उठी थी.

यह कहानी सुनें.

अब आगे रियल चीट वाइफ कहानी:

करीब एक महीने के इंतज़ार के बाद अलका के मायके जाने का प्रोग्राम तय हुआ और वो भी करीब दस दिन का!
अलका और मेरी दोस्ती एक अलग ही लेबल पे चली गई थी तो उसने सचिन के खाने और घर की जिम्मेदारी सब मेरे ऊपर डाल दी.

मैं- अलका तूने घर की और खाने की जिम्मेदार तो मुझे दे दी. अब पति भी दे दो जिससे उसको रात में तेरी कमी ना खले!
अलका हंस कर- दीदी देख लेना, कहीं आपकी चूत का बजा ना बज जाये और मैं भी कहीं जीजा से चूत चटवा लूँ!
मैं- देख बुरा मत मानना अगर मैं तेरे पति का लण्ड रोज़ चूस दूँ तो!
अलका- मैं क्यों बुरा मानूंगी. मुझे भी बदले जब मेरी चूत चूसने वाला जीजा मिल रहा है.

अलका के जाने वाले से दिन से ही मैंने तीन दिन अपनी काम वाली को छुट्टी दे दी जिससे मुझे किसी तरह की रुकावट का सामना न करना पड़े,

मर्द तो साले मर्द ही होते हैं, जहाँ चूत देखी … लग जाते है उसको चोदने की फ़िराक में!
बस एक हल्के से इशारे का इंतज़ार होता है लड़की से!
इस बात को मैं अच्छे से समझती थी.

बस सचिन को थोड़ा उकसाना था और फिर वो मर्द बन के मुझे चोद डालेगा क्योंकि कई बार मैंने उसकी आँखों में वासना देखी थी मेरे लिए!
मैंने अपने जिस्म को फुल वैक्स करा के चूत चिकनी कर ली थी.

अलका के जाने के दिन सचिन ने आधे दिन की छुट्टी ले रखी थी.
भरी दोपहर को जब वह अलका को छोड़ कर लौटा तो मैंने उसे कहा कि फ्रेश होकर खाना खाने आ जाये.

मैंने एक टाइट शार्ट पहन ली जिसमें मेरे चूतड़ कहो या गांड … उभर के दिखती थी.
साथ ही पैंटी लाइन भी साफ दिखती थी, मेरी टांगें, जांघ सब दिखती थी.
साथ ही मैंने गहरे गले की पतली सी सफ़ेद टीशर्ट डाल ली जिसके अंदर काली ब्रा साफ नजर आ रही थी.
होंठों पर मैंने भड़कीली लाल रंग की लिपस्टिक लगा ली.

सचिन भी नहा के लुंगी और बनियान में ही मेरे घर आ गया.

उसने जब मुझे देखा तो उसका मुँह खुला के खुला रह गया.
उसकी आंखों की चमक बता रही थी कि वह मुझे चोदने की मंशा रख रहा है.

इधर उसकी मस्सल मुझे गीली करने के लिए बहुत थी.

उसको पटाने के लिए बहुत घिसापिटा फार्मूला मैंने अपनाया.
जब सचिन खाना खाकर रसोई के पास हाथ धो रहा था तब मैं रसोई से चीखती हुई आई और उससे लिपट गई.
और मैंने इस बात का ख्याल रखा कि मेरी चूचियां भरपूर उसके सीने सट जायें.

सचिन ने भी अकबका कर मुझे जोर से पकड़ लिया.
मैं बोली- छिपकली है वहां पर!

तो वह हंसने लगा और बोला- हटो, मैं भगा देता हूँ.
पर मैं उससे और सट गई.
मेरे बदन की खुशबू और मेरी चूची की गर्मी से सचिन भी नहीं बचा.

वह मुझे एकटक देख रहा था तो मैंने उसको आंख मार दी मुस्कुराते हुए!

अब तो सचिन को सब समझ में आने लगा, वह भी जोश में गया.
सचिन मेरी पीठ सहलाने लगा तो मैं और उससे चिपक गई, उसके सीने पे हाथ फिराने लगी और उसके गाल को चूम लिया.

अब कुछ कहने या समझने की गुंजाईश ही नहीं थी.
मेरा महीनों से देखा जाने वाला सपना पूरा होने वाला था.

मेरे चूमते ही सचिन का अंदर का मर्द जग गया, उसने भी मेरे होंठों को चूम लिया.
मैंने भी उसका साथ दिया तो दोनों ही पागलों के तरह एक दूसरे को चूमने लगे.

मैं- अंदर चलें?

सचिन ने मुझे गोद में उठाया और बैडरूम ले जाकर बिस्तर पर उछाल दिया और अपनी बनियान और लुंगी उतार कर मेरे ऊपर छा गया.
उसका भारी भरकम जिस्म में मेरा नाजुक जिस्म दब गया.

एक दूसरे को चूमते मसलते उसने मेरी टीशर्ट, ब्रा-पैंटी सब निकाल कर फेंक दी, अपना भी जॉकी साथ ही निकाल कर फेंक दिया.

मैं उसके सामने नंगी लेटी थी और वह मेरे यौवन को नज़रों में बसा लेना चाहता था.
मेरी नज़र जब उसकी जांघों के बीच लटकते फुंफकारते काले मोटे लण्ड पे गई तो मेरा जिस्म कामातुर हो गया.
सारी शर्मोहया छोड़कर मैं उस पर झपट पड़ी और लण्ड को दोनों हाथों से पकड़ के उसकी गर्माहट को महहूस करके उस पर अपने गाल फेरने लगी.

गहरे लाल रंग का सुपारा मेरी चूत गीली करने के लिए काफी था.
मेरे मुँह से निकल पड़ा- वाह यार, कितना मोटा और गर्म है!
और मैंने उसे मुँह में भर लिया.

सचिन तो किलकारी भर के रह गया- उफ आआह होह!

सुपारा ही मेरे मुँह में मुश्किल से जा रहा था, पूरा लंड तो मैं ले ही नहीं पा रही थी अंदर!
सचिन आवाजें निकल रहा था- उफ्फ ह्हुहुहु … उह … उहऊ … ऊऊ … उह … उहऊ … आह … आह … आह आह … हाय … हाय बस!

मैं सटासट लण्ड का सुपारा चूसे जा रही थी.
सचिन भी मेरे बालों को पकड़ के मेरे मुँह को चूत समझ के चोद रहा था- ओह्ह शिखा … क्या चूसती हैं आप … काश अलका भी ऐसे ही चूसती!

मैं- आप क्यों परेशान हो रहे हो. मैं हूँ ना चूसने के लिए … आपका जब दिल करे, मैं चूस दूंगी!
सचिन- हॉ आँ … तुमसे ही रोज़ चुसवाऊँगा. बस चूसती रहो शिखा! आज पहली बार चुसवाने का पूरा आनन्द मिला है … उफ्फ यह अहा!

इधर मेरी चूत तो झड़ चुकी थी.
उत्तेज़ना में मेरी चूत उसके लण्ड के इंतज़ार में कुलबुलाने लगी.

पर सचिन मेरे मुँह से लण्ड निकलने को तैयार ही नहीं था.
मैं भी समझ गई कि इसका मूड मेरे मुँह में वीर्यपात करने का है.
मैंने भी मूड बना लिया.

मेरा मुँह लण्ड की गर्माहट से जला जा रहा था.
कभी मैं गर्म जीभ सुपारे पर फिराती तो कभी उसकी गोटी को मुँह में भर कर चूसती.

वह्बोल रहा था- ओह्ह शिखा … उफ उफ्फ आह आह शिखा … शिखा हाँ ऐसे ही चूसो. तुमने मेरा दिल खुश कर दिया!

मेरा मुँह दर्द करने लगा था, फिर भी वासना के नशे में लंड चूसती रही.

थोड़ी देर मेरा मुँह ढेर सारे वीर्य से भर गया.
सचिन ने मेरे सर को पकड़ कर ऐसे दबा कर रखा था कि जब तक सारा रस पी नहीं गई, तब तक निकलने नहीं दिया अपना लण्ड!
मेरे मुँह से वीर्य की सफ़ेद धार बह रही थी.

कुछ देर बाद उसने अपना लंड मेरे मुख से निकाला और मेरे होंठ चूसने लगा, साथ ही चूस चूस के वह अपने ही लंडरस को चाट गया.

पर मेरी चूत में तो खुजली मची थी, मुझे उसके मोटे लण्ड को अपनी चूत में लेना था.
और वह आराम से आंख बंद कर बेड पर लेटा था.

तो मैं उसके ऊपर जा के लेट गई और उसके निप्पल को चूसने लगी, कभी दांतों से निप्पल को काट लेती तो वह आअह करके रह जाता.
कभी मैं उसकी गर्दन तो कभी कान की लौ पर काट लेती.
तो कभी अपनी गर्म साँस उसके ऊपर छोड़ देती.

मेरी चूत उसके लण्ड से रगड़ रही थी.
कुछ ही पल में लण्ड ने स्वरूप बदलना शुरू कर दिया.

सचिन- आआ आआहआ ऊऊऊ अहहाहा म्म्म्!

मैं उसके पूरे जिस्म को चाटते हुए नीचे सरक के लण्ड को चूसने लगी. कभी उसके लण्ड को फेंटती तो साथ में उसकी गोटी की मुँह में भर कर चूसती.

जब मैं उसके लण्ड की चमड़ी नीचे कर के उसके सुपारे पर जब जीभ फेरती तो वह कसमसा जाता- आआ ह आमाह हाह आआआ श्शस्शह … अअ … उम्म्ह … अहह … हय … याह!

उसका लण्ड तैयार था, मेरी चूत भी गीली थी.
मैं उठी और लण्ड को चूत पे सेट किया.
और जब तक मैं संभलती, सचिन ने मेरी कमर पकड़ के नीचे मुझे दबा दिया, साथ ही साथ अपने चूतड़ भी ऊपर उछाल दिए जिससे उसका लण्ड मेरे अंदर एक बार में ही घुस गया.

‘अह्ह्ह … ह्ह … उईई … ईई माआआ … माआआ … मर गईइई … आआआअ … ऊऊऊ … उह … ओह्ह … आआ ऐईई ईई … आआअह्ह … उम्म्य्यय्य!’
मैंने इतना मोटा लण्ड तो पहली बार लिया था तो ऐसा लगा लण्ड हलक तक आ गया.

मेरी भी चीख निकल गई- साला मादरचोद हरामी!
गाली भी निकल गई.

मेरी चूत फ़ैल गई थी. चूत ने एक बार में ही पानी छोड़ दिया.

सचिन थोड़ा उठ कर मेरी चूची को मुँह में भर कर चूसने लगा.
मैं सिर्फ सिसकारने लगी- उई ईई आह ईई ईईआ आआह हह म्मम उह ऊऊई माआआ आआह उफ्फ आआह्ह ओह्ह उफ्फ उफ़ हम्म!

मुँह खोल कर मैं जोर से साँस लेने लगी और एक हाथ से उसके सर को चूची पे दबा दिया.
कुछ ही पलों में मेरी चूत में फड़फड़ाहट होने लगी.
मेरी गांड के छेद में सुरसुरी सी होने लगी, मेरे चूतड़ स्वयं ही रिदम में ऊपर नीचे होने लगे.

मैं उसके सीने पे हाथ रख कर अपनी गांड उछालने लगी.
सचिन के हाथ मेरी गांड को कस के पकड़े हुए थे, वह नीचे से मेरी गांड को उछाल रहा था.

“अहह सस्स सीसी सिसश सरर नहीं अह्ह्ह आआहह उह्ह आईई ऊईई ऊहह अआईईइ … उईई माँ मर गई … आईई आईई!”

मेरी चूत और मैं इतनी चुदासी थी कि चूतरस भर भर के बह रहा था.
मेरे चुदास ने मुझको जल्दी चमोत्कर्ष पर पंहुचा दिया और मैं भरभरा के उसके सीने पे गिर पड़ी.

सच कहूं तो आज जैसा मज़ा तो मुझे अखिल के साथ भी नहीं आया.
इसमें कोई शक नहीं कि मेरा पति बिस्तर में लाज़वाब है पर पराये मर्द के साथ कुछ अलग ही मज़ा और आनन्द आता है.

आज मैंने महसूस किया कि शादी के बाहर सम्भोग का एक अलग ही नशा होता है. इसे वही समझ सकता है जिसने इसको भोगा हो.

पर सचिन का लण्ड अभी भी कड़क था और मेरी चूत में था.
मुझे पता था कि वह एक बार झड़ चुका है तो जल्द झड़ेगा नहीं दूसरी बार में!

उसने मुझे बाँहों में भर कर एक बार चूमा और धीरे से लण्ड अंदर डाले हुए ही मुझे पीठ के बल पलट दिया.
उसने मेरे दोनों पैर अपने कंधे पर रखे और थोड़ा लण्ड पीछे खींच कर सटाक से एक शॉट में मेरी चूत में उतार दिया.

मैं कराह उठी- आआ आआह आमाह हाह आआआ आईई ईई!

फिर वह दनादन मेरी चूत में शॉट लगाने लगा, जितनी तेज़ी से लण्ड बाहर खींचता, उतनी तेजी से वह लण्ड चूत में घुसा देता.

उसके टट्टे मेरे चूतड़ों पर टकराते तो गांड का छेद भी सुरसुराने लगता.

मैं बस ‘आह्ह ओह्ह ओह्ह उह्ह उम्म’ कर रही थी.
कमरे में पट पट फच फच की आवाज गूँज रही थी.

वासना से भरी हुई मैं सिसकार रही थी- उम्म्ह … अहह … हय … याह … उहऊ !
मैं जोर से चीख रही थी, चूत का पानी बहा रही थी.
कई बार झड़ चुकी थी मैं … तो मेरी हिम्मत जवाब दे रही थी.

अब मैं कामना कर रही थी कि सचिन जल्दी से झड़ जाए.
मैं बोली- सचिन, दर्द हो रहा है. जल्दी से आ जाओ. और झटके सहन नहीं कर सकती मैं!

सचिन ने मुझे पलट के मेरे चूतड़ को चूम कर अपना लण्ड पीछे से चूत में डाल दिया.

मैं बस ‘आहह आहह ओहह मम्मी ओ मम्मी आअह आअ’ करके रह गई.
मेरी कमर को पकड़ कर सचिन ने अपने जोरदार झटकों से मेरे अंग अंग को हिला कर रख दिया.

मेरा सारा बदन फड़कने लगा, चूत बार बार झड़ जाती … पर सचिन डटा रहा.

अचानक सचिन के झटको में तेज़ी आ गई और वह लण्ड बाहर निकाल कर मेरे ऊपर अपने हाथ से फेंटने लगा.
कुछ ही सेकेण्ड में उसके लण्ड से निकलता वीर्य मेरे जिस्म को नहलाने लगा.
मेरे मुँह, बाल, चूची, जिस्म में उसके वीर्य के कतरे फ़ैल गए.

वह बगल में गिर कर गहरी सांसें ले रहा था, मैं उठकर उसके ऊपर लेट कर उससे चिपक गई.
उसने भी मुझे बाँहों में भर लिया.

थोड़ी देर में हम दोनों सामान्य हुए तो फ्रेश हुए.
और फिर बातें करने लगे.

हम दोनों ही खुश थे.
मेरे अंदर तो जान बची नहीं थी तो मैं सचिन के जाने के बाद वैसे ही सो गई.

अखिल के फ़ोन बजने के साथ मेरी नींद खुली.
तो उसने बताया कि उसको रात को मुंबई जाना होगा. उसकी फ्लाइट सुबह दिल्ली से है तो रात को ही दिल्ली चला जायेगा तो उसका बैग पैक कर दूँ तीन दिन के हिसाब से!

मैं उठी एक बार और नहा के अखिल के जाने की तैयारी करने लगी.

अब मैं सोच रही थी मैंने तो चुद के मज़ा ले लिया, अब अलका को अखिल से चुदवाना था क्योंकि ये वादा मैंने खुद किया था अखिल से!

मेरी चूत में दर्द था तो मैंने एक गोली खा ली कॉफी के साथ!

रात आठ बजे अखिल आया तो मैं तब तक फ्रेश होकर उसके लिए तैयार थी क्योंकि मुझे मालूम था वह बिना चोदे तो जायेगा नहीं!

अखिल ने आते ही मुझे चोदा.
फिर खाना खाकर जाते जाते भी एक क्विक चुदाई की.

अखिल के जाने के बाद मैं बिस्तर पे पड़ी हुई थी और दिन की चुदाई याद कर रही थी.
सचिन का लण्ड मेरी आँखों के सामने से जा ही नहीं रहा था.

चूत का तो भोसड़ा बन गया था पर दिल में अरमान अभी था चुदने का!

तो मैंने सचिन को कॉल कर दिया उम्मीद न होने पर भी उसने एक सेकेण्ड में ही फ़ोन उठा लिया, बोला- मैं तुमको ही याद कर रहा था.

जब उसने उसने सुना कि अखिल तो मुंबई गया है तो उसने फोन काट दिया और कुछ ही पल में वह दरवाज़े पर था.

मैंने जब दरवाज़ा खोला तो वह सामने था.
उसने अंदर आकर मुझे बाहों में भर लिया मैंने भी उसको अपने से चिपका लिया.

एक बार धुआंधार चुदाई हुई, फिर हम वैसे ही नंग धड़ंग सो गए.

अलका के आने तक हम दोनों ने कभी अपने घर में तो कभी उसके घर जम कर चुदाई का खेल खेला.

पर चुदाई की प्यास बढ़ती ही जा रही थी.
बस दिल करता कि सचिन का मोटा लण्ड मेरी चूत में हरदम रहे.

फिर उस पर ब्रेक लग गया
अब मेरी बारी थी अलका को चुदवाने की अखिल के लंड से!

दोस्तो, मैं तो चुद चुकी!

अगले भाग में अलका को मैंने कैसे अखिल से चुदवाया, यह मैं आपको बताऊँगी.
पर आप ग्रुप जैसा मत सोच लेना.

हाँ यह बात सही है कि अलका और मैं एक साथ एक ही बिस्तर पर चुदी पर वह ग्रुप सेक्स जैसा नहीं था.
मैं और अखिल दोनों ही अलका को अधिक से अधिक मज़ा देना चाहते थे. तो मैं जब उन दोनों की लाइव चुदाई देख कर उत्तेजित होती थी, बस उसी उतेज़ना को अखिल शांत कर देता था.

पाठको, आपको इस रियल चीट वाइफ कहानी में मजा आ रहा होगा.
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