पति ने मुझे पराये लंड की शौकीन बना दिया- 10

(My First Sex With A Doctor)

माय फर्स्ट सेक्स विद डॉक्टर की कहानी में मैं डॉक्टर के फ्लैट में उसके बेड पर नंगी लेटी अपनी जांघें फैलाए डॉक्टर के लंड के घुसने की प्रतीक्षा कर रही थी.

कहानी के पिछले भाग
डॉक्टर को अपनी चूत का रस पिलाया
में आपने पढ़ा कि अस्पताल में धीरे धीरे मैं और डॉक्टर अतुल एक दूसरे के इतने करीब आ गए कि मैं डॉक्टर अतुल से चुदवाने उनके घर पहुँच गयी और सोते हुए डॉक्टर अतुल को जगा कर उनके तगड़े लण्ड से चुदवाने के लिए तैयार हो गयी।

यह कहानी सुनें.

अब आगे माय फर्स्ट सेक्स विद डॉक्टर:

डॉक्टर अतुल ने मुझे नंगी किया और खुद नंगे होकर अपना लण्ड मेरी चूत पर टिका दिया।
अतुल का इतना बड़ा लण्ड देख कर मैं डरी हुई थी।

मैं उनको उनका लण्ड मेरी चूत में बड़े ही धीरे धीरे डालने के लिए मिन्नतें करने लगी।
डॉक्टर अतुल मेरी बात सुन कर मुस्कुराये।

उन्होंने प्यार भरी नज़रों से मुझे देखा और कहा- नीना, मुझे मेरे लण्ड पर कण्ट्रोल करने में बड़ी दिक्क्त होगी क्योंकि तुम्हारा यह कमनीय नंगा खूबसूरत सुआकार बदन देख कर और तुम्हारे इस तरह से खुल्लमखुल्ला चुदाई की बात करने से मेरा यह लण्ड वैसे ही अपने आप इतना सख्ती से खड़ा हो गया है और तुम्हारी चूत को चोदने के लिए मचल रहा है। चुदाई में जितना मर्द बोलने में और चोदने में आक्रमक होता है, उतनी ही आक्रमक अगर स्त्री हो तभी दोनों चुदाई का असली आनन्द भोग सकते हैं। एक दूसरे को एन्जॉय करने के लिए तो हम यह चुदाई कर रहे हैं। है या नहीं?

मैंने अपनी नजरें नीची कर अपना सर हिला कर हामी भरते हुए कहा- तुम सही कह रहे हो। मैं तुम्हारा पूरा साथ दूंगी, बस यह पहली बार सम्भालना है फिर जैसे चाहो, चोदना मुझे! मैं बिल्कुल नहीं रोकूंगी। तुमसे नीचे से, पीछ से सब तरह से अच्छे से चुदवाऊंगी और तुम्हारे ऊपर सवार होकर तुम्हें कूद कूद कर खूब चोदूँगी।

अतुल मेरी बात सुन कर हँस पड़े और बोले- डार्लिंग, मैं जानता हूँ। तुम चिंता मत करो, मैं धीरे धीरे ही अंदर डालूंगा और डालने के पहले अच्छे से इसे चिकना भी करूंगा। मैं मेरा लण्ड एकदम पूरा भी नहीं डालूंगा। फिर भी कुछ दर्द तो होगा। पर तुम झेल पाओगी उसे? अब तुम और तुम्हारी यह चूत मेरी हो चुकी है। मुझे इसको सम्भाल कर ही चोदना है।

यह कह कर डॉक्टर ने अपने पास में पहले से रखी एक चिकने से तरल की छोटी सी बोतल निकाली और उसमें से काफी कुछ अपने लण्ड पर लगाया और बोतल में अपनी उंगली डुबोकर काफी कुछ मेरी चूत में उंगली डालकर अंदर अच्छे से लगाया।

मेरी चूत में काफी कुछ तरल अंदर महसूस भी हुआ।
मुझे तब तसल्ली हुई कि मैं शायद अतुल के उस बड़े लोहे के छड़ जैसे सख्ती से खड़े लण्ड को मेरी चूत में ले पाऊंगी।

मैंने डॉक्टर का लण्ड मेरी मुट्ठी में पकड़ने की कोशिश की।
अतुल ने मेरा हाथ हटा कर मुझे प्यार भरी नज़रों से देखते हुए आँखों से इशारा किया कि वे लण्ड को सम्भाल कर ही डालेंगे।

मैंने मेरी उँगलियों से मेरी चूत की पंखुड़ियों को दोनों तरफ हटा कर मेरी गुलाबी चूत का प्रवेश द्वार खोल दिया।

अतुल ने अपने अच्छे से चिकने किये हुए लण्ड को अपने हाथ से पकड़ कर कुछ टेढ़ा-मेढ़ा करते हुए मेरी चिकनाहट से भरी चूत की पंखुड़ियों के बीच में थोड़ा सा घुसेड़ा।

मेरी चूत के पटल खुल गए और डॉक्टर का वह महाकाय लण्ड पहली बार मेरी चूत में दाखिल हो ही गया।

उनके लण्ड को मेरी चूत में दाखिल होते ही मेरी चूत में पता नहीं क्यों मेरे स्त्री रस की जैसे बाढ़ आ गयी।
मुझे लण्ड को अंदर लेने में कोई ख़ास परेशानी नहीं हुई।

मैंने मुस्कुरा कर डॉक्टर की ओर देखा।
अतुल ने अपना लण्ड थोड़ा और अंदर घुसेड़ा।

मुझे कुछ दर्द जरूर महसूस हुआ पर वह भी असह्य नहीं था।
मुझे बड़ा ही आश्चर्य महसूस हुआ कि अतुल ने इतना लण्ड डाला फिर भी मुझे दर्द क्यों नहीं हुआ।

मेरी चूत के अंदर अतुल ने वह चिकना प्रवाही तरल भर दिया था और अपने लण्ड को भी इतना चिकना कर दिया था कि उनके लण्ड से चादर पर मेरी और उनकी लार और वह चिकना तेल टपकने लगा था।

शायद इसीलिए जब डॉक्टर का लण्ड मेरी चूत में आधी लम्बाई तक घुसेड़ दिया तो भी मुझे हल्का सा दर्द के अलावा कुछ ज्यादा दर्द महसूस नहीं हुआ।
बल्कि उनके लण्ड के घुसने से मेरे जहन में इतनी जबरदस्त उत्तेजना और कामुकता उफान मारने लगी कि दर्द के बावजूद मैं चाहती थी कि डॉक्टर अतुल उनका लण्ड मेरी चूत में और गहराई तक पूरा डाले और उसे फुर्ती से अंदर बाहर करते हुए मुझे जोर से चोदना शुरू करें।

डॉक्टर अतुल मेरे दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर दबा रहे थे और उन्हें बेरहमी से मसल रहे थे जो मुझे उन्माद के शिखर पर पहुंचा रहे थे।

अतुल का लण्ड मेरी पूरी चूत में घुस चुका था।
दर्द की एक जबरदस्त टीस सी मुझे कुछ पल के लिए महसूस हुई और चली गयी।

उसकी जगह मेरे पूरे बदन में और ख़ास कर मेरी चूत और मेरे स्तनों में जैसे उन्माद की एक भयानक सुनामी सी एक के बाद एक मुझे महसूस होने लगी।

एकाएक मेरे दिमाग में एक सुन्न सा छा गया, मुझे एक तेज उत्तेजना और रोमांच के ज्वार सा उछाल आया और मैं झड़ गयी।

अतुल ने मुझे धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया था।
उनका वह तगड़ा लण्ड मेरी चूत में से अंदर बाहर होना शुरू हो गया था जो मैं बहुत बढ़िया तरीके से मेरे पूरे बदन में महसूस कर रही थी।

मेरे एक बार झड़ने से मेरा पूरा बदन रोमांचित हो गया।
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे डॉक्टर अतुल का लण्ड सिर्फ मेरी चूत ही नहीं, मेरे पूरे बदन के अंदर घुसा हुआ लग रहा था।

ऐसा लग रहा था जैसे मेंरे पेट में भी उनका लण्ड घुस कर अंदर बाहर आ जा रहा था।

मेरा पूरा बदन डॉक्टर अतुल की चुदाई के कारण हिल रहा था।
धीरे धीरे पूरा पलंग चुदाई के जोर से हिलने लगा था।

अतुल का लण्ड जिस तरह मेरी चूत की सुरंग के अंदर बाहर हो रहा था, मैं मेरी चूत और उनके लण्ड की चमड़ी के घर्षण से इस कदर पगला रही थी जिसको बताना मुश्किल है।

उनके लण्ड का हर बार एक धक्के के साथ मेरी चूत में दाखिल होना अपने में एक तरह के उन्माद का सैलाब पैदा करता था।

मुझे यह कतई समझ नहीं आ रहा था कि जिस तरह उनका इतना तगड़ा लण्ड मेरी चमड़ी को फैला रहा था, मुझे बिल्कुल दर्द क्यों नहीं हो रहा था।

मैं मेरी चूत की चमड़ी की खिंचाई देख रही थी और कुछ हद तक महसूस भी कर रही थी।

शायद मेरी चूत की चमड़ी फट भी रही थी पर मुझे बिल्कुल उसका दर्द के रूप में अहसास नहीं हो रहा था।
मेरे उस अहसास के कारण और भी चुदास बढ़ रही थी।
बल्कि मैं चाह भी रही थी और बार बार चिल्ला चिल्ला कर डॉक्टर को यही कह रही थी- चोदो, मुझे और जोर से चोदो!

मैं उस दरम्यान इस कदर पगला रही थी कि मैं यही सोच रही थी और कई बार डॉक्टर अतुल बिना रुके मुझे चोदते ही जाएँ।

डॉक्टर को अपने लण्ड को मेरी चूत में घुसाने में जो मशक्कत करनी पड़ी थी, लगभग उतनी ही मशक्कत उन्हें मुझे चोदने में भी करनी पड़ रही हो, ऐसा मुझे लग रहा था.
क्योंकि उनका लण्ड मेरी चूत में घुसाने के लिए धक्के मारते समय हर बार उनके मुंह से ‘उँह … उँह …’ की आवाज निकलती मुझे सुनाई दे रही थी।

हालांकि मुझे चुदवाने में ज्यादा दर्द नहीं महसूस हो रहा था पर अनायास ही उनके लण्ड के हरेक धक्के से मेरे मुंह से भी ‘आह … ओह … हाय …’ की आवाजें निकलती रहती थीं।

अतुल की जाँघों की मेरी चूत पर पड़ रही चपेड़ों की ‘थपाक … थपाक …’ की आवाज हमारी कराहों की आवाजों के साथ पूरे कमरे में गूंज रही थी।
साथ में ही मेरी चूत में से डॉक्टर अतुल के हरेक बार लण्ड घुसने से कुछ ना कुछ द्रव सा बाहर उभर कर निकलता रहता था।

कमरे में चुदाई की जो एक ख़ास सुगंध होती है, वह फैली हुई महसूस हो रही थी।
मुझे यकीन था कि डॉक्टर की पड़ोसन, जो आते हुए मुझे दो बार मिली थी, वह जरूर दरवाजे पर कान लगाए खड़ी हमारी इन आवाजों को सुन रही होगी और पता नहीं क्या महसूस कर रही होगी।

मुझे आश्चर्य की बात लग रही थी कि डॉक्टर अतुल का इतना बड़ा मोटा, लंबा और तगड़ा लण्ड मेरी पूरी चूत में घुस गया पर मुझे जो दर्द होना चाहिए था, उसकी बजाये यह इतना जबरदस्त कामुक उन्माद कैसे महसूस हो रहा था?
मैं अतुल के लण्ड को मेरी चूत में महसूस कर पागल सी हो रही थी।

मेरी चूत की चमड़ी फटने का दर्द के बजाये मुझे एक गजब का उन्माद और रोमांच भरा प्यारा मीठा मीठा अहसास हो रहा था।
मुझे लगता था कि अतुल बिना रुके मुझे चोदते ही रहें।

मैं पहले डर रही थी कि ऐसे लण्ड से चुदवाते हुए मैं डॉक्टर अतुल को बार बार मिन्नतें करती रहूंगी कि वे अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में ना डालें।
पर उसके बजाये मैं तो चाह रही थी कि वे अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में डालकर मुझे जबरदस्त ताकत से चोदें।

मैंने देखा कि अतुल ही जानबूझकर अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में नहीं घुसेड़ रहे थे।
यह मेरे लिए एक पहेली सा था।

खैर मेरी तगड़ी चुदाई जम कर हो रही थी।
चुदवाते हुए पूरा हिलते हुए मैं कई बार ऊपर मुंह उठा कर उनकी तरफ काम और प्यार भरी नज़रों से देखती रहती।

मेरी नजर से नजर मिलते ही अतुल मुस्कुरा देते और फिर मुझे पेलने की क्रिया बिना रुके जारी रखते।
और मैं उस चुदाई से इतनी पागल हो रही थी कि ऐसा पागलपन मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया था।

उस दोपहर मैं कम से कम दो बार झड़ गयी।

डॉक्टर अतुल एक के बाद एक धक्के मार कर मेरी चूत में अपना लण्ड पेलते जा रहे थे।
मैं पूरे पलंग पर इधर से उधर हिलती जा रही थी और डॉक्टर के लण्ड की मार मेरी चूत में अनुभव कर रही थी।

मेरे स्तन इधर उधर फ़ैल रहे थे।
कई बार अतुल उन्हें अपने हाथों में पकड़ कर निम्बू की तरह निचोड़ देते तो कभी मेरी निप्पलों को अपनी उँगलियों में लेकर घुमाते रहते और उन्हें पिचक देते।

मैं हैरान रह गयी कि डॉक्टर अपने लण्ड से मेरे ऊपर से मुझे करीब आधे घंटे तक बिना रुके ही चोदते रहे।
उनका लण्ड अंदर बाहर एक मशीन की तरह होता ही रहा।

उस दरम्यान मैं दो या तीन बार झड़ चुकी थी पर अतुल झड़ ही नहीं रहे थे।

मैं थकने लगी थी।
मुझे कुछ कुछ दर्द का अहसास होने लगा था।
पर वह दर्द बड़ा ही मीठा सा लग रहा था।

कुछ देर बाद मैंने डॉक्टर अतुल को रोका।
मैं फिर पलंग पर उलटी हो गयी और मैंने अपनी गांड ऊपर की।

अतुल ने मेरी गांड के आसपास अपने हाथ लगा कर मुझे घोड़ी बनाया, फिर मेरे पीछे आकर अपना लण्ड अपने हाथ में पकड़ कर मेरी चूत में घुसेड़ने की कोशिश करने लगे।

मुझे महसूस हुआ कि उनके लण्ड को मेरी चूत में घुसड़ने में उनको काफी मशक्क्त करनी पड़ रही थी।
उनक इतना मोटा लण्ड मेरी चूत में घुस नहीं रहा था।

उन्होंने जैसे तैसे टेढ़ा-मेढ़ा कर धक्के मार मार कर आखिर में उसे मेरी चूत में घुसेड़ ही दिया।

मुझे सख्त दर्द होना चाहिए था पर मुझे गजब का आनन्द और उन्माद महसूस हो रहा था।
कहीं ना कहीं यह एक बड़ी ही अजीब सी बात हो रही थी।

खैर अतुल ने अपने घुटनों के बल आधा बैठ और आधे खड़े रह कर मेरी चूत में अपने लण्ड से चोदना शुरू किया।

मैं भी घोड़ी बन कर उनके लण्ड को काफी अंदर तक घुसते हुए महसूस कर रही थी।
मुझे मेरी चूत की चमड़ी के खिंचाव के कारण दर्द तो हो रहा था पर उससे कहीं ज्यादा मुझे उनके लण्ड का बड़ा मीठा अहसास भी हो रहा था।

जैसे जैसे डॉक्टर अतुल मुझे चोदे जा रहे थे, मेरा उन्माद बढ़ता जा रहा था।
मुझे घोड़ी पोज़िशन में और भी ज्यादा मजा आ रहा था।

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