लण्डों की होली-2

Lundo Ki Holi-2 ससुर जी ने कहा- अब सब घर की महिलायें घर में छुप जायें, अगर हमने किसी को ढूँढ लिया तो सब मिलकर उसे चोदेंगे। तब घर की सारी महिलायें भागने लगीं। नीलम अपने साथ मुझे ले गई, पर मैंने देखा वो तो ऐसी जगह पर छुपी थी कि कोई भी इससे ढूँढ […]

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घर के लौड़े-3

Ghar ke Laude-3 पिन्की सेन रानी- पापा आपका तो अजय और विजय से भी बड़ा है, उन्होंने ही इतना दर्द दिया और आप तो मेरी जान ही निकाल दोगे। पापा- अरे रानी… बड़ा कैसे नहीं होगा.. मैं उनका बाप हूँ और तू डर मत.. वो तो नए खिलाड़ी थे, उनको क्या पता चुदाई क्या होती […]

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घर के लौड़े-4

Ghar ke Laude-4 रानी- आहह पापा ऊउउहह बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ बस अब निकाल लो… आह मैं मर जाऊँगी ऊउउहह… पापा- अरे कुछ नहीं होगा.. मेरा जान ये तो आज तेरा कौमार्य भंग हुआ है.. इसलिए इतना दर्द हुआ.. बस आज बर्दाश्त कर ले.. फिर तू खुद मेरे लौड़े पर बैठ कर उछल-उछल […]

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घर के लौड़े-7

Ghar ke Laude-7 रानी- बस ज़्यादा तेवर मत दिखाओ… मैं जानती हूँ तू यहाँ क्यों आया है। अब चुपचाप अपना काम कर और चलता बन मुझे नींद आ रही है। विजय- क.. कौन सा काम? रानी- इतना भी पागल मत बन.. आधी रात को तू मेरे कमरे में क्या माँ चुदाने आया है… साला बहनचोद.. […]

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शादी में मामी को चोदा

मैं सिप्पी राय टिब्बी गाँव का रहने वाला हूँ। यह मेरी पहली कहानी है उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएगी। मेरे छोटे भाई की शादी थी इसलिए कुछ मेहमान 2-4 दिन पहले ही आ गए थे। जब मैं बाजार से घर पहुँचा तो देखा कि उतराखंड से मामा जी आए हुए हैं। वो मुझसे कुछ […]

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लड़कपन की यादें-1

यह कहानी लगभग काफ़ी वर्ष पहले शुरू हुई जब मैं बहुत छोटा था। मैं तब अपने मम्मी, डैडी के साथ अपने तीन मंजिला घर में रहता था। एक दिन मैंने अपने डैडी की अलमारी में छुपा कर रखी सैक्स कहानियों की किताबों का खज़ाना देख लिया था।

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लड़कपन की यादें-2

Ladakpan Ki Yaden-2 रात हुई, हम तीनों ने खाना खाया, थोड़ी देर ड्राइंग रूम में बैठ कर हंसी-मज़ाक की, टीवी देखी और फिर सब अपने-अपने कमरों में सोने को चले गये पर मेरी आँखों से तो नींद कोसों दूर थी। आधे घंटे बाद ही में चुपचाप ऊपर से निचली मंजिल पर आया और उनके कमरे […]

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लड़कपन की यादें-3

मैंने स्कूल के अपने दोस्तों से भी सैक्स की चर्चा करना शुरू किया तो पता चला कि उनमें से कुछ ही सैक्स के बारे में जानते थे और जो जानते थे वो भी मुझ से बहुत पीछे थे। हालांकि मैंने कभी किसी दोस्त को अपने मम्मी-डैडी की रति क्रीड़ा के बारे में नहीं बताया था।

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लड़कपन की यादें-4

मैं बोला- तुम जानती हो मुझे ये बुक्स कहाँ मिली… मेरे डैडी की अलमारी में ऐसी 30-35 बुक्स हैं… वहाँ सैक्स के वीडियो कैसेट्स भी है… मैं इसे वहीं से लाया… तुम जानती हो मेरे मम्मी-डैडी हर बुधवार और शनिवार को सैक्स करते हैं… मैंने उन्हें कई बार सैक्स करते हुए देखा है।

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लड़कपन की यादें-5

सोनी ने अनन्या को पूछा कि तुमने किसी का लिंग देखा है तो अनन्या ने ना कहा तभी बातों ही बातों में सोनी ने मुझे कहा- अभि… आज हम दोनों को अपना लिंग दिखाओ… !

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लड़कपन की यादें-6

मैंनेअपने होंठ सोनी के होठों से हटाकर कर उसके वक्षों और नाभि को चूमते हुए उसके कटिप्रदेश की ओर बढ़ा दिए और पैंटी के ऊपर उन्हें चूमने लगा फिर दोनों हाथों से पैंटी को नीचे कर उतार फेंका। मैंने उसकी दोनों टाँगें चौड़ी की और अपनी जीभ उसकी योनि में घुसा दी तो वो कसमसा उठी

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लड़कपन की यादें-7

मैंने सोनी की पीठ पर हाथ फिराना शुरू किया तो वो भी पीछे मेरे पास आकर बैठ गई। मैं धीरे-धीरे उसके उरोजों को मसलने लगा था और वो भी हल्की-हल्की सिसकारियों के साथ मेरा साथ दे रही थी। कुछ ही मिनटों में मैंने उसका टी-शर्ट ऊपर कर उतार फेंका और ब्रा के हुक खोल

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लड़कपन की यादें-8

अनन्या भी अब उत्तेजित हो चुकी थी इसलिए तुरन्त अपने सारे कपड़े खोल कर हमारे खेल में शामिल हो गई और जैसा अभी मूवी में देखा था वैसे ही घुटनों के बल झुक कर सोनी के पास बैठ कर उसके उरोज़ चूसने लगी।

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बहकते ज़ज्बात दहकता जिस्म-1

रोनी सलूजा अपनी ऑफिस की सहायिका लीना की कहानी आपके समक्ष लेकर उपस्थित है। मेरी कहानियाँ पढ़ने वाले सभी लीना को जानते हैं, नये पाठकों को ‘कामदेवियों की चूत चुदाई’ इस कहानी में लीना के बारे में सम्पूर्ण जानकारी आपको मिल जाएगी ! एक दिन लीना ने मेरे को अपने साथ हुई जो घटना बताई […]

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लड़कपन की यादें-9

उसने अपने नितम्ब उठा कर पेंटी को खोलने में सहमति प्रदान की, मैंने पेंटी को खींच कर उतार फेंका फिर धीरे से उसकी टांगों को चौड़ी कर उभरी हुई योनि के गुलाबी भगोष्ठ को अपनी उंगली से हल्का सा फैलाया और अपनी जीभ उस पर टिका कर चूसने लगा।

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