शादी में चूसा कज़न के दोस्त का लंड-4
मैं उठकर उसके सिरहाने जा बैठा और उसका सिर अपनी गोद में रख लिया और उसके घने घने बालों में हाथ फेरने लगा। बस क्या बताऊँ दोस्तो, दिल से एक ही आरजू बार बार निकल रही थी कि यह रात कभी खत्म न हो..
अन्तर्वासना की हॉट हिंदी सेक्स कहानियाँ - Chudai ki Kahani, Audio Sex Story, XXX Stories and Adult Stories and More in Hindi
मैं उठकर उसके सिरहाने जा बैठा और उसका सिर अपनी गोद में रख लिया और उसके घने घने बालों में हाथ फेरने लगा। बस क्या बताऊँ दोस्तो, दिल से एक ही आरजू बार बार निकल रही थी कि यह रात कभी खत्म न हो..
एक रात बाइक से जाते हुए किसी को लिफ़्ट दी तो पता चला कि वो हिजड़ा था। बातें करते हुए सेक्स की बात आ गई और उसने मेरी मदद के बदले मुझे मज़ा देने को कहा।
उसने बताया- मैं बच्चे पैदा नहीं कर सकता हूँ बस नाम का लंड है.. सब कुछ सही है.. पर मेरा सारा शरीर लड़कियों वाला है.. केवल ऊपर वाले ने मुझे चूत की जगह लंड दे दिया.. वो भी अधूरा..
मैं वापस छत की तरफ भागा और कमरे में जाकर उसी गद्दे पर गिर गया जिस पर पहली रात रवि के साथ सोया था.. मेरा कलेजा फटने को आ रहा था.. गद्दे को बाहों में भरकर फूट फूट कर रोने लगा..
मधु को प्यासी छोड़ मैं नीलेश के पास आ गया और उसने मधु की चूत के रस से भीगा लंड चूसना शुरु किया। मैंने उससे अनायास ही पूछ लिया मधु के पानी का स्वाद कैसा है?
मैं भाभी से पढ़ता था और भाई के सुडौल बदन को देख, सोच कर मुठ मारा करता था, मैं भैया का लंड लेना चाहता था। एक बार भाभी मायके गई तो मुझे लगा कि मेरा काम बन सकता है।
एक बार हम अकेले में मिले और उसने मुझे उसका लण्ड मुँह में लेने को कहा.. पर मैं ना-नुकुर करने लगा। उसके ज़ोर देने पर मैंने उसका लण्ड मुँह में लिया और धीरे-धीरे चूसने लगा।
आज की यह कहानी प्रकृति द्वारा बनाई गई उस खूबसूरत प्रजाति की है जिसे हम पुरुष कहते हैं.. इसकी मैं जितनी भी तारीफ करूँ, हमेशा कम लगती है। मैं तो अपनी मर्द जाति का दीवाना हूँ..
रात को सवारी ना मिलने के कारण मैं पैदल गाँव जा रहा था कि बाइक पर दो पुलिस वालों ने मुझे लिफ़्ट दे दी। उनके बांके बलिष्ठ बदन देख मेरी गांड में कुछ कुछ होने लगा।
दोनों मेरे सामने खड़े थे और दोनों के ही लंड पैंट में तने हुए एक साइड में आकर लग गए थे। आस पास गेहूं के खेत थे चिड़िया की भी आवाज नहीं थी… बस था तो रात का सन्नाटा..
सने जिप धीरे धीरे नीचे की तरफ खोलनी शुरु की... जैसे जैसे चेन नीचे जा रही थी, मेरे मुंह में पानी आ रहा था और मेरे ये भाव देखता हुआ प्रवीण मुस्कुरा रहा था..
प्रवीण ने अपने सीधे हाथ से मेरी जांघिया को नीचे खींच दिया और मेरी गांड का छेद उसकी आखों के सामने आ गया। वो मेरे नर्म मुलायम चूतड़ों को हाथों से दबाता हुआ इस्स इस्स करने लगा और अपनी उंगली मेरी गांड में डाल दी।
मुझे लड़कियों से ज्यादा 35+ के मर्द ज्यादा भाते हैं। उनका शरीर, डील-डौल, मरदाना आवाज मुझे बहुत अच्छी लगती है। ऐसा नहीं है कि मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है, मेरी दो गर्ल फ्रेंड हैं!
अपनी मामी, मासी, चाची, बुआ और उनकी लड़कियों के चूचे तो मैंने दबा कर देखे ही थे। एक दो रिश्तेदारों की चूत भी देखी थी। मगर किसी सोई हुई लड़की या औरत की चूत को छूना खतरे से खाली नहीं होता।
मुझे लड़कों में ज्यादा रुचि है. रोहतक में आरक्षण के दंगों के कारण मुझे अपने दोस्त के कमरे में रुकना पड़ा. वहाँ उसके रूममेट को देख कर देखता ही रह गया.