पूजा की गान्ड पहली बार मैंने मारी
हम दोनों सेक्स करना चाहते थे पर दु:ख की बात यह थी कि मैं कभी भी उसे चोद नहीं पाया था.. एक दिन मैंने 10 बजे उसे मेरे घर बुला लिया। उसकी गांड कुंवारी थी..
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हम दोनों सेक्स करना चाहते थे पर दु:ख की बात यह थी कि मैं कभी भी उसे चोद नहीं पाया था.. एक दिन मैंने 10 बजे उसे मेरे घर बुला लिया। उसकी गांड कुंवारी थी..
डायना बोली- सोमू, मुझे यह देख कर बड़ी ख़ुशी हुई की रति को गांड मरवाई में कोई तकलीफ नहीं हुई। यह मेरी बड़ी पुरानी इच्छा थी कि कभी कोई मेरी भी गांड मारे। अब रति को देख कर मेरा भी दिल कर रहा है कि मेरी भी गांड तुम मारो...
उसने मेरी चूत पर लंड रख दिया और अंदर को धकेला। एक बार तो मेरी आँखें ही जैसे बाहर को निकल आई। कितना मोटा था, जैसे किसी ने अपनी पूरी बाज़ू ही मेरी चूत में डाल दी हो।
पप्पू ने उसके चूतड़ सहलाते हुए कहा- सच कहूँ सलोनी.. तुम जितनी अपनी गाण्ड मरवाओगी.. उतनी ये सुन्दर दिखेगी.. ठीक उसी तरह से.. जितने तुम मम्मे दबवाया करोगी.. उतने वो बढ़ेंगे।
मैंने पलंग से गद्दे उठाकर जमीन पर बिछाया और रचना को सहारा देकर उस गद्दे पर पट लेटा दिया। शराब के नशे में ही रचना बोली- जानू जिस तरह से तुमने प्यार से मेरी चूत चोदी थी, उसी प्यार से मेरी गांड का भी ध्यान रखना।
मेरी नींद सुबह नौ बजे खुली, मैं अंगड़ाई लेते हुए उठा, रचना सो रही थी, उसका दूध जैसा जिस्म सूरज की छन कर आती हुई रोशनी में और भी चमकदार लग रहा था। अनायास ही मेरे हाथ उसके चूतड़ को सहलाने लगे।
रचना ने भाभी की गांड के अन्दर क्रीम लगा दी और मेरे लंड में भी क्रीम लगा दी। भाभी की मस्ती बढ़ती ही जा रही थी, वो अपनी उँगली को अपने चूत के अन्दर बाहर कर रही थी।
अब तक आपने पढ़ा.. फिर 15 मिनट आराम करके उठे.. और मैंने गद्दे को वापस कमरे में रख दिया। अब तक दोनों ने कपड़े भी नहीं पहने थे.. और कपड़े हाथ में लिए ही नीचे आने लगे। मैंने सोनी को गोद में उठाया हुआ था, मैं उसे कमरे में ले गया.. और चुम्बन करने लगा। […]
अरे तुमने तो कहा था कोई असली मर्द आज तक नहीं मिला.. अब आज मिला है.. तो तुम्हारी गाण्ड फट रही है। तुमने तो बहुत बार गाण्ड मरवाई है.. फिर चिल्ला क्यों रही है.. चोद अर्जुन और चोद.. आज इसको दिखा दे देसी बॉय की ताक़त क्या होती है।
दीपक ने मुझे पकड़ लिया और वहीं घास पर पटक दिया और पागलों की तरह चूमने लगा। मैं भी गरम हो गई थी और उसका पूरा साथ दे रही थी। उसने मुझे औंधा किया और मेरी गाण्ड में उंगली करने लगा।
दोनों कुछ ज़्यादा ही मस्ती में आ गए और कोमल को कभी नीचे लेटा कर चूसते.. तो कभी हवा में उठा कर उसके मुँह को चोदते। लगभग 15 मिनट तक वो दोनों बारी-बारी उसको मसलते रहे और लौड़ा चुसवाते रहे.. कभी उसकी चूत को चाटते..
प्रीत चिल्लाई- ऊह्ह.. क्या रहे हो.. मेरी गांड तो मेरे पति ने भी नहीं मारी.. मैं बोला- तो तुम्हारे पति को कुछ पता नहीं, गांड मारने में क्या मस्त मजा आता है..
काजल ने कहा- भैया मैंने बहुत कोशिश की.. लेकिन मैं डर जाती थी.. कि कहीं किसी को पता चल गया और मैं प्रेगनेंट हो गई तो क्या होगा.. ये सब सोच कर मैं डर जाती थी।
मधु की चूत और गांड में लंड डले हुए थे। मैं और नीलेश एक साथ एक लड़की के दो छेदों को भरे होने का मज़ा ले रहे थे। मधु बहुत तेज़ तेज़ साँसों के साथ मचलने लगी।
मैंने अपना लण्ड निकाल कर.. उसकी गाण्ड में घुसेड़ दिया और उसकी गाण्ड चोदने लगा। मैं उसके कूल्हे पकड़ कर उसे चोद रहा था.. उसके चूतड़ काफी बड़े थे.. उन पर एक प्यारा सा तिल भी था।