मेरी चूत का बाजा बज गया -2

(Meri Chut Ka Baja baj Gaya-2)

कहानी के पिछले भाग
मेरी चूत का बाजा बज गया -1
में आपने पढ़ा कि मेरे छोटे भाई अमित और भाभी की चुदाई देखकर मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया।
मैं बाथरूम में जाकर अपने कमरे के अन्दर आकर पलंग पर लेट गई।

अब आगे:

मैं पलंग पर लेट कर सोचने लगी कि भाभी कितनी ख़राब है जो अपने देवर से ही ये सब करवाती हैं।

उतने में अमित के कमरे का दरवाजा खुला.
मैं भी जानती थी कि भाभी कभी भी मेरे कमरे के अन्दर आ सकती हैं और उन्होंने मुझे जगा हुआ देखा तो उन्हें शक हो जाएगा इसलिए मैं सोने का नाटक करने लगी।

थोड़ी देर बाद भाभी मेरे कमरे के अन्दर आईं और मुझे नींद में समझ कर मुस्कुराने लगीं.
वे मेरे करीब आकर मेरे सर पर हाथ से मुझे उठाने लगीं.

मैं भी उनके जगाने पर नींद से उठी हूँ, ऐसा नाटक करते हुए उठकर अपनी आँखें मसलने लगी।

भाभी बोलीं- अब तो थकान दूर हो गई होगी?
मैंने भी कहा- हाँ भाभी, अब एकदम ठीक हूँ।

फिर भाभी अपने साथ मुझे बाहर ले गईं और हम हाल में बैठकर टी.वी. देखने लगे।

लगभग 10 मिनट बाद अमित भी अपनी आँखें मसलता हुआ बाहर आया जैसे नींद से उठा हो।

वो हमारी और देखकर मुस्कुराया और हमारे पास आकर बैठ थोड़ी देर टी.वी. देखने के बाद बोला- भाभी चाय बना दो यार, आलस आ रहा है।

भाभी चाय बनाने चली गईं. भाभी के जाने के बाद अमित मेरे पास आकर बैठ गया।

मैंने उस समय सलवार और एक ढीली सी टी-शर्ट पहनी हुई थी।

अमित मुझसे पूछने लगा- दीदी, आप तो अब बड़ी हो गई हैं.
अनामिका- क्यों पहले क्या तेरे से छोटी थी?
अमित- नहीं, मेरा मतलब आप जवान हो गई हो.

अनामिका- तू भी तो जवान हो गया है. कॉलेज जो जाने लग गया है.
अमित- हाँ दीदी. कॉलेज की हवा ही कुछ ऐसी होती है. जो हर लड़के को जवान बना देती है। वैसे आप भी तो कॉलेज में पढ़ती हो. सब जानती ही होगी.
अनामिका- हाँ यार, पर मुझमें कोई फर्क नहीं आया.

अमित- क्यों नहीं आया. देखो आप कितनी सेक्सी लगने लग गई हो. आपका फिगर भी एकदम क़यामत लगती है।
मैं अमित की इस तरह की बातों से बहुत चकित हो गई कि ये क्या बोल रहा है।

उतने में अमित का फोन बजा तो वो फोन पर बात करने अपने कमरे के अन्दर चला गया।

तब तक भाभी भी चाय लेकर आ गईं, चाय मुझे देकर अमित को आवाज लगाने लगी।
अमित भी आकर चाय पीने लगा.

भाभी अपनी चाय लेकर हमे खाना बनाने की बोलकर रसोई के अन्दर चली गईं.

मैंने अमित से पूछा- किसका फ़ोन आया था जो कमरे के अन्दर जाकर बात की. मेरे सामने ही कर लेते।
अमित- दीदी, वो मेरी फ्रेंड का फोन आया था।
अनामिका- सिर्फ फ्रेंड का या गर्ल-फ्रेंड?
अमित थोड़ा मुस्कुराते हुए बोला- गर्लफ्रेंड का दीदी.

अनामिका- क्या बोल रही थी?
अमित- कुछ नहीं. वो आज रात को सिनेमा में चलकर फ़िल्म देखने की बोल रही थी।
अनामिका- तो बस फ़िल्म देखने या कुछ और भी देखने?

अमित- दीदी आप भी ना. वो तो सब होगा ही. अगर मेरी किस्मत बढ़िया रही तो.
अनामिका- पहली बार मिल रहे हो क्या?
अमित- हाँ दीदी. अभी 10 दिन पहले ही उससे फ्रैंडशिप हुई है.
अनामिका- तो आज तो तुम्हारे मजे हैं. कितने बजे वाले शो में जाओगे?
अमित- 9 से 12.
अनामिका- उसके घर पर कोई कुछ बोलेगा नहीं. वो घर 12 बजे जाएगी?

अमित मुझसे थोड़ा दूर बैठा था तो उठ कर मेरे पास आया और मुझसे बिलकुल चिपक कर बैठ गया और बोला- दीदी उसके मम्मी-पापा यहाँ पर नहीं रहते हैं. वे उसके गाँव में रहते हैं. वो तो यहाँ पर पढ़ाई करने आई है और अपनी फ्रेंड के साथ दोनों एक कमरा किराये से लेकर रहती हैं।

अनामिका- अच्छा तो यह बात है. फिर तो तुम्हें पूरे मजे मिलेंगे.
अमित धीरे-धीरे अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख कर सहलाने लगा।

रात की चुदाई देखकर मेरा भी शरीर गर्म हो गया था और चूत में खुजली होने लगी थी इसलिए मैंने उसे बिलकुल भी नहीं रोका।

अमित- हाँ दीदी. और आपका कोई बॉयफ्रेंड नहीं है?
अनामिका- नहीं यार, पहले एक था पर उससे मेरा ब्रेक-अप हो गया है.
अमित- तो उसके साथ मजे लिए या नहीं?
अनामिका- नहीं यार.

अमित- क्यों, चुम्बन तो किया होगा?
अनामिका- हाँ चुम्बन तो लिए और ऊपरी मजे सब लिए पर इससे आगे कुछ नहीं किया।

अमित- तो दीदी मन तो करता होगा?
अनामिका- चुप साले, खत्म कर बात. कुछ भी बोलता है. मेरा कोई मन नहीं करता.
अमित- चलो ठीक है।

अमित वहाँ से उठकर अपने कमरे के अन्दर चला गया।

मैंने घड़ी में समय देखा 7 बज रहे थे.
थोड़ी देर बाद अमित के पापा यानि मेरे मामा भी आ गए।
मुझे देखकर मामा भी बहुत खुश हुए और मुझे गले लगाया और मैं उनसे घर के बारे में पूछने लगी- घर में सब कैसे हैं?

उन्होंने बोला- सब अच्छे हैं।
तभी भाभी आईं और बोलीं- आइए सब खाना खा लीजिये।
मामा उठ कर हाथ-मुँह धोने चले गए।

फिर हम सबने साथ में बैठकर खाना खाया।
अमित मामा से बोला- पापा मैं फ़िल्म देखने जा रहा हूँ. थोड़ा लेट आऊँगा।

मामा बोले- और कौन जा रहा है?
तो अमित बोला- फ्रेंड है एक.

मामा- तो एक काम कर. अनामिका को भी साथ ले जा. ये भी फ़िल्म देख लेगी।
अमित- ठीक है पापा.

अनामिका- नहीं मामा मुझे रात में नहीं देखनी फ़िल्म. दिन को चलेंगे।

फ़िल्म देखने की तो मेरी भी इच्छा थी मगर मैं अमित की वजह से मना कर रही थी।
अमित- दीदी चलो ना. बहुत अच्छी फ़िल्म है.
मामा- हाँ बेटी जाओ. वैसे भी तुम्हारे साथ अमित तो है ही!

मैंने अमित की तरफ देखा तो वो थोड़ा मुझसे नाराज़ था।
मैं तैयार हो गई.
मैंने आज एक टाइट जीन्स और टाइट टी-शर्ट पहन ली।

अमित ने अपनी बाइक निकाली और मैं उस पर बैठ गई।
बाइक की सीट थोड़ी छोटी और ऊँची थी इसलिए मुझे दोनों तरफ पैर करके बैठना पड़ा।
उसकी बाइक यामाहा R15 थी जिसमें पीछे बैठने वाले को आगे वाले के ऊपर लगभग झुक कर बैठना पड़ता है।

अब अमित जब भी ब्रेक लगाता तो मेरे चूचे उसकी पीठ से दब जाते थे।
अमित भी मजे लेकर बार-बार ब्रेक लगा रहा था।

इसी तरह हम सिनेमा पहुँचे और अमित ने अपनी गर्लफ्रेंड को फ़ोन लगाया और उससे बात करने लगा।

बात करके अमित आया तो थोड़ा अपसैट सा लग रहा था।
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोला- श्वेता नहीं आ रही है. उसके पापा-मम्मी आए हुए हैं।

अनामिका- तो फिर क्या घर वापस चलें?
अमित- तो क्या हुआ. अपन दोनों देखते हैं.

दोस्तो, कैसी लगी मेरी सच्ची कहानी. मुझे मेल करें.
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कहानी का अगला भाग: मेरी चूत का बाजा बज गया -3

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