मेरी सगी बहन तो चुदक्कड़ निकली- 1

(Bhai Se Chudai Ki Baat)

भाई से चुदाई की बात की मेरी बहन ने! मैं तो पहले से ही अपनी दीदी की चूत का मजा लेना चाहता था, उसे देखकर मुठ मारा करता था. एक दिन बहनने ही ऐसे हालात बना दिए कि मैंने उसकी सलवार खोली.

दोस्तो, मेरा नाम शैलेश कोरा है. मैं उत्तर प्रदेश के जिला रायबरेली का रहने वाला हूं.
मेरी उम्र 27 साल है.

मेरा लंड कुछ ज्यादा बड़ा है और मेरे लौड़े की मोटाई चूत का कचूमर बना देती है.
रंडियों को भी मेरे लौड़े को देख कर डर लगने लगता है.
लखनऊ की रंडियां मुझे पहचानने लगी हैं और मेरी शक्ल देख कर ही मुँह फेर लेती हैं. मुझे दोगुने पैसे देने पर भी बड़ी मुश्किल में कोई रंडी मिलती है.

यह भाई से चुदाई की बात की कहानी 8 महीने पहले की है.
आज सुना रहा हूं.

आगे बढ़ने से पहले मैं आपका अपनी बड़ी बहन से परिचय करवा देता हूं.
उनका नाम (बदला हुआ) सरिता है.
वे बेहद खूबसूरत हैं, किसी राजकुमारी की तरह पूरी अप्सरा सी लगती हैं.
उनकी हाइट 5 फुट 6 इंच है. कद काठी और बनावट एकदम जानदार है.

वे मुझसे पाँच साल बड़ी हैं और अभी अविवाहित हैं.
उनकी शादी तय हो गई है और दो महीने बाद उनकी शादी होनी है.

दीदी के बारे में सोचते ही लंड उफान मारने लगता है, खुद को शांत करने के लिए मुझे मुठ मारनी पड़ जाती है.

कोई भी भाई अपनी बहन के बारे में गलत नहीं सोचता.
परन्तु परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं जिससे चुदाई हो ही जाती है.
ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ.

उस दिन घर में मेहमान आए हुए थे.
मामा, मामी और उनकी बेटी आरती आए थे.

ठंड के दिन थे.
हमारे घर में जगह तो बहुत थी लेकिन बिस्तर कम थे.

इस वजह से मम्मी ने मेरी बहन को मेरे पास मेरे कमरे में सोने को बोला था.
उन्होंने कुछ गलत नहीं सोचा था.

खाना के बाद हम सभी लोग कुछ बात करने के बाद अपने अपने कमरे में चले गए.
दीदी के कमरे में मामा की फैमिली सैट हो गई थी.

मैं और दीदी मेरे कमरे की ओर चले.

दीदी- रुक, मैं बाथरूम से चेंज करके अभी आती हूं. तू ऊपर मत जाना.
मैं- ठीक है.

दीदी बाथरूम से निकलीं, तो मेरे तोते उड़ गए.
दीदी का सुडौल सुगठित बदन देख कर मेरा मन मचलने लगा.
जांघों के ऊपर तक एक छोटी सी नाइटी में दीदी बेहद खूबसूरत लग रही थीं. उनके आधे बूब्स खुले हुए बड़े ही मस्त दिख रहे थे.

हम दोनों कमरे में आ गए.

दीदी ने अपनी चूचियों की नुमाइश करते हुए मेरे लौड़े को कड़क कर दिया था.
उन्होंने मेरी लाइफ के बारे में मुझसे कुछ बात की और मेरी जीएफ वगैरह को लेकर बात करती रहीं.

यही सब बात करते करते दीदी सो चुकी थीं.

मैं उन्हें सिर्फ घूर ही पा रहा था और कर भी क्या सकता था!

कुछ देर बाद मैं भी सो गया.

तकरीबन 2 बजे आंख खुली तो मैंने देखा कि दीदी की नाइट ड्रेस उनके पेट पर चढ़ गई थी और जांघों का दूधिया रंग चमक रहा था.
दोनों जांघों के बीच के त्रिकोण में उनकी पैंटी के ऊपर से साफ साफ दीदी की चूत का आकार नजर आ रहा था.

उनकी चूत किसी कचौड़ी की तरह फ़ूली हुई थी और पेट की सांसों के चलते हौले हौले से ऊंची नीची हो रही थी.

चूत के ऊपर उनकी नाभि का इलाका था … आह नाभि का मादक छेद देख कर ही मेरे लौड़े की जान निकलने की स्थिति हो गई थी; लंड किसी भी वक्त पानी फेंकने की स्थिति में हो गया था.

मैंने दीदी के चेहरे की तरफ देखा, वे टांगें चौड़ी करके बिल्कुल बेसुध सो रही थीं.

मैंने थोड़ा सा ऊपर की तरफ देखा तो मेरी धड़कने एकदम से तेज हो गईं.
उनकी गुलाबी नाइटी से आधे मम्मे झलक रहे थे और उस पर मेरी बहन के एक हाथ की उंगली उसकी दोनों चूचियों के बीच में थी.

मेरी तो लार सी टपक पड़ी थी, खुद को संभालना मुश्किल होने लगा था.

दीदी की भरपूर गदरायी हुई जवानी को सोचते हुए मैं उठ कर बाथरूम में गया और मुझे उनके नाम की मुठ मारनी पड़ी.
यह काफी देर तक देखने की सजा थी.

मैं फिर से बेड पर गया तो उन्होंने करवट बदल ली थी.

जिस वजह से उनके बड़े बड़े गोल फुटबॉल जैसे कूल्हे मेरी आंखों के सामने थे.
उन पर एक कसी हुई पैंटी की लाइनें साफ नुमाया हो रही थीं.

मेरे विचारों में फिर से शैतानी हरकत हुई कि क्यों न ये जो मौका मिला है तो इसका कुछ फायदा उठा लिया जाए.

मैंने एक पल सोचा और अगले ही पल सरक कर बिल्कुल अपनी बहन की गांड से अपने लौड़े को चिपका कर लेट गया.
पहले लंड की नोक से उनकी गांड की दरार को घिसा, फिर अपना एक पैर उनके कूल्हे के ऊपर रख दिया.

उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, तो कुछ देर बाद मैंने अपना हाथ उनके एक स्तन पर रख दिया.
एक पल रुका और कोई हरकत ना होने पर मैं उनकी चूची को दबाने लगा.

फिर हाथ नीचे करके दीदी की चूत पर उंगली फेरने लगा.
पीछे से मैं अपने लंड का दबाव चूतड़ों के मध्य की घाटी में देने लगा.

किसी खूबसूरत अप्सरा को सिर्फ एक छोटी सी नाइटी ने ढका हुआ था और बगल में लेटा हुआ एक जवान लड़का कितनी देर से संयम कर सकता है.

कुछ देर बाद मेरे लंड से अंडरवियर में ही रस निकल गया.
मैं ढीला हो गया और दीदी से चिपक कर सो गया.

फिर कब सुबह हुई, कुछ पता ही नहीं चला.

सुबह उठा तो दीदी मेरे बाजू से उठ कर जा चुकी थीं.
इससे मैं डर गया कि कहीं उन्हें पता ना चल गया हो.

मैं नीचे आया तो मेहमान भी जाने की तैयारी में थे.

पापा को चंडीगढ़ जाना था, वे सुबह जल्दी निकल गए थे.
मुझे भी जॉब पर जाना था लेकिन मैं नहीं गया.

मैं वापस रूम में आया और रात के बारे में सोचने लगा कि क्या ये सही था!
फिर मैंने विचार किया तो आंखों के सामने बहन का नंगा जिस्म याद आया.

मैं लेटा हुआ अपने लंड को सहला रहा था.
तभी दीदी दो कप में चाय लेकर आईं.

जब कोई किसी को ख्यालों में नंगी देख रहा हो तो लोअर में तंबू बनना तय होता है.

वही हुआ.
दीदी के सामने मेरे लोअर में लंड ने कड़क होकर एक तंबू बना दिया था.

फिर मैं उठा और स्पीड से सीधा बाथरूम की तरफ गया.
उधर काफी कोशिश करने के बाद जब लंड शांत ही नहीं हुआ तो पुनः मुठ मारने लगा.

तभी दीदी ने आवाज मारी- चाय ठंडी हो जाएगी … क्या कर रहे हो?
मैं झट से उसी पोजीशन में बाहर निकल कर आ गया.
लोअर में लंड ने अपना खौफ जगाया हुआ था.

बहन- क्या हुआ? मुझे देखते ही भागा क्यों?
मैं- वह बस ऐसे ही … बाथरूम जाना था.

बहन- ओके … ले चाय पी और बता कि आज जॉब पर क्यों नहीं गया?
मैं- आज मूड खराब था.

बहन- मूड ठीक हो जाए तो नीचे आ जाना. मां भी मामा के साथ चली गईं. वे एक हफ्ते तक वापस नहीं आएंगी.

मैं दीदी से नजरें नहीं मिला पा रहा था.

उन्होंने साड़ी पहनी थी.
ब्लाउज भी डोरी वाला पहना हुआ था.
आधे दूध साफ चमक रहे थे.
ऊपर से उनकी मटकती गांड मेरे लौड़े में फिर से आग लगा गई.

जैसे ही दीदी कमरे से बाहर आईं, मैंने चाय छोड़ कर बाथरूम का रुख किया.

मेरा लंड टाइट था.
मैंने दीदी को सोच कर फिर से मुठ मारी.

पहले और अब में काफी फर्क था.
ऐसा लगने लगा था जैसे उससे बेहतर माल तो पूरी दुनिया में कोई बना ही नहीं है.

मैं नीचे गया.

मेरी बहन ने पूरा मेकअप कर रखा था जैसे चूत चुदवाने के लिए कोई रंडी ने पूरी तैयारी कर रखी हो.
होंठों पर लाल सुर्ख लाली, आंखों पर मस्कारा, गालों पर रूज … बालों का जूड़ा बना कर चुदने के लिए अपनी टांगें फैलाने को एकदम तैयार रांड सी लग रही थीं.

मेरे मन में कई सवाल थे कि अब क्या करूं?
मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था.

तभी उन्होंने आवाज दी- इधर आ, तुझसे कुछ बात करनी है.
मैं- हां दीदी … आया.

दीदी ने मेरा हाल चाल पूछा- काम कैसा चल रहा है?
उन्होंने सब पूछा.
मैंने भी सर झुका कर उनके सवालों का जवाब दिया.

उन्होंने कहा- ऊपर देख कर बात कर ना!
मैंने उनकी चूचियों की तरफ देखा. क्या बताऊं … साला लौड़ा खड़ा हो गया.

दीदी ने चिपकने वाला ब्लाउज पहना हुआ था. उनके आधे से ज्यादा मम्मे बाहर निकले हुए दिख रहे थे.

मैं सिर्फ दीदी के दूध देखता रह गया.
मेरी बहन मेरे ऊपर कयामत ढा रही थी.

तभी उनकी नजर मेरी लोअर पर गई.
मौके का फायदा उठाते हुए उन्होंने कहा- भाई, मेरे लिए एक गिलास पानी ला दे!

मैंने किसी तरह से जाकर पानी दिया.
अब कोई लड़की चुदक्कड़ हो तो लोअर के अन्दर का सीन बाहर से ही भांप जाती है कि लंड का साइज क्या है और कितना फूला हुआ है.

लौड़े को देखते हुए ही बोली- भाई एक बात बोलूं … बुरा न लगे तो कहूँ?
मैं- हां दीदी बोलिए न!

बहन- मुझे देख और बता कि मैं कैसी दिख रही हूं?
मैं- दीदी आप काफी अच्छी लग रही हो.

बहन मुस्कुराती हुई बोली- और? सच सच बता ना!
मैं- आप वाकयी में मस्त लग रही हो.

बहन ने मुस्कुरा कर कहा- तो आज मेरा एक काम कर दो.
मैं- हां बोलो न!

बहन- मुझे मेहंदी लगवानी है, तो मार्केट में कहीं से लगवा दो.
मैं- चलो, मैं तैयार होकर आता हूं.

बहन- तुम नहा कर आओ, मैं तुम्हारे कपड़े निकाल देती हूं.

मैं नहा कर कमरे में जा ही रहा था कि बहन ने आवाज दी- इधर ही रख दिए हैं कपड़े … पहन लो.

वे तेल लाईं और मेरे सर पर लगाने लगीं.
दीदी की हाइट मुझसे छोटी थी, तो मैंने सर झुका दिया. मेरी नाक उनकी चूचियों से रगड़ने लगी.
वे कुछ भी नहीं बोलीं.

मुझे हरा सिग्नल मिलने लगा.

लेकिन मैं अभी कुछ भी हरकत नहीं करना चाहता था क्योंकि वे मेरी बहन हैं … और भाई बहन में इतने से तय नहीं किया जा सकता था कि उनका क्या मन है.

तेल डालने के बाद मैंने बाल बनाए और कपड़े पहन कर हम दोनों निकलने के लिए तैयार थे.
बहन- मैं एक मिनट में आती हूं.

वे अपने कमरे में गईं.

तभी उन्होंने आवाज दी- इधर आना भाई, टांण पर से मेरी चूड़ी का डिब्बा उतार दो.

मैं अन्दर गया, टांण तक तो मैं भी नहीं पहुंच पा रहा था.
इतने में दीदी बोलीं- तू मुझे ऊपर उठा.

मैंने बिना देर किए उनके चूतड़ पकड़ कर उन्हें ऊपर उठा दिया.
उस वक्त दीदी की चूत मेरे मुँह पर थी.

चूत की महक और स्पर्श का मजा एक साथ दोनों मिल रहे थे.

फिर मैंने दीदी को धीरे धीरे नीचे किया तो उनके बदन पर हाथ फेरने का सुख भी लिया और उनकी चूचियों के भी एकदम सूंघते हुए दर्शन कर लिए.

दीदी ने चूड़ी पहनी और हम दोनों चल दिए.

मैं- कार से चलें?
दीदी बोलीं- नहीं, अपनी बाइक निकाल ले.

मेरे पास पल्सर थी.
हम दोनों बाइक पर बैठ कर चल दिए.

गली के नुक्कड़ तक तो वे मेरी बहन बनी हुई बैठी थीं.
उसके बाद तो उन्होंने अपने दोनों हाथ कंधे पर रख दिए.
दीदी की चूचियों का दबाव मैं अपनी पीठ पर महसूस कर रहा था.

हम दोनों मेहंदी डिजाइन वाली दुकान पर पहुंचे.
दीदी ने अपने दोनों हाथों में मेहंदी लगवा ली और बोलीं- अब सीधे घर चलना है.

वातावरण में ठंडी हवा तेज चल रही थी, दीदी का पल्लू लहरा रहा था.

मैंने अपने हाथ से उनका पल्लू ठीक कर दिया और कमर में लपेट कर घुसा दिया.
फिर दीदी की तरफ देखा और मुस्करा भी दिया.
वे भी हंस दीं.

हम दोनों घर पहुंच गए.

दीदी को तेज सुसु लगी थी. हाथ में मेहंदी लगी होने की वजह से वे परेशान थीं.

फिर वे मुझसे बोलीं- मुझे सुसु जाना है. मेरे कपड़े चेंज करवा दे.
मैं- मैं कैसे?

‘मेरी निकल जाएगी भाई, प्लीज यार जल्दी कर.’
मैं- मैं नहीं कर सकता.

बहन- अच्छा अब नौटंकी बंद कर. रात का मुझे सब पता है कि तूने क्या किया था.
मैं सकपका गया- क…क्या किया था?

बहन- साले, तूने मेरे तन बदन में आग की ज्वाला जला दी थी. अब नौटंकी बंद कर और मेरी साड़ी खोल जल्दी से, वर्ना मम्मी को सारी बात बता दूंगी.

मुझे उनके साथ सब कुछ करना तो था ही, बस पता तो चले कि दीदी की आग कितनी भड़की है.

मैं धीरे धीरे करके साड़ी खोलने लगा. मैं उनको धीरे धीरे से टच करने लगा.

फिर उनकी कमर पकड़ कर कहा- रात में ये ही तो मुझे सोने नहीं दे रही थी.
दीदी भाई से चुदाई की बात करती हुई बोली- बोलता तो रात ही तेरे हवाले कर देती. अभी भी खोल दे, अब 5 दिन तेरी ही हूं … और तेरे लंड का साइज़ काफी बड़ा है ना? मैंने रात में सहलाया था.

‘हाँ दीदी … काफी बड़ा है.’
‘हूँ … मैं कई दिनों से तेरे चक्कर में हूं. मामा मामी को मैंने ही बुलाया था. बाकी अभी सब बताती हूं. पहले मूत तो लूं!’

मैं- पैंटी भी उतारूं?
‘हां, बेटा हां … पूरी नंगी ही कर दे साले.’

मैं हंस कर बोला- दीदी, मेरे सामने ही मूतना.
दीदी- ओके बेटा, चड्डी तो उतार पहले.

मैंने दीदी की पैंटी में दोनों साइड अंगूठा डाल कर सारी उंगलियों को जांघ पर पकड़ बना कर हाथ फेरते हुए नीचे उतार दी.
दीदी- आ जा, तेरे सामने ही धार निकालूँगी.

उनकी चूत को पहली बार देखा था.
सच कहूं तो नंगी लड़की को ही पहली बार देखा था … वह भी अपनी बहन को.

दीदी मूतने को बैठी ही थीं कि छर्र छर्र की आवाज आने लगी.

आपको देसी भाई से चुदाई की बात की कहानी कैसी लग रही है, मुझे जरूर बताएं.
अगले भाग में सगी बहन की चुदाई का मजा आने वाला है.

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भाई से चुदाई की बात की कहानी का अगला भाग: मेरी सगी बहन तो चुदक्कड़ निकली- 2

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