अंगूर का दाना-2

मैं उसकी तेज़ होती साँसों के साथ छाती के उठते गिरते उभार और अभिमानी चूचकों को साफ़ देख रहा था। जब कोई मनचाही दुर्लभ चीज मिलने की आश बंध जाए तो मन में उत्तेजना बहुत बढ़ जाती है।

पूरी कहानी पढ़ें

जुरमाना क्या दोगे

प्रेषक : चन्दन मेरा नाम चन्दन है, हरियाणा का रहने वाला हूँ, बी.टेक फ़ाइनल में पढ़ता हूँ। बात एक साल पहले की है जब मेरे पड़ोसी, जिन्हें मैं चाचा चाची कहता था, की लड़की रूचि ने मेरे ही कॉलेज में इ.सी.इ के पहले साल में प्रवेश लिया। वो बहुत ही सेक्सी है, कद 5’3″ फिगर […]

पूरी कहानी पढ़ें

अंगूर का दाना-1

मैं उठकर उसके पास आ गया और उसके होंठों को अपनी अगुलियों से छुआ। आह… क्या रेशमी अहसास था। बिल्कुल गुलाबी रंगत लिए पतले पतले होंठ सूजे हुए ऐसे लग रहे थे जैसे संतरे की फांकें हों।

पूरी कहानी पढ़ें

सुहागरात की सच्ची कहानी

हम दोनों अब बेड पर लेट गए, दोनों कुछ भी नहीं बोल रहे थे। एक अजीब सी हलचल हो रही थी मन में, मुझे यह डर था कि वो बुरा न मान जाए या फिर मुझ से कोई गलती न हो जाए।

पूरी कहानी पढ़ें

छप्पर फाड़ कर-2

मैंने उसके उरोजों को सहलाना शुरू किया। उरोज क्या थे दो रुई के गोले थे। सुगंधा के उरोज तो इसके सामने कुछ भी नहीं थे। मेरा लिंग पजामें में तंबू बना रहा था। मैंने उरोजों को जोर जोर से मसलना शुरू किया तो उसके मुँह से कराह निकली। अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, […]

पूरी कहानी पढ़ें

मेरी मुनिया उसका पप्पू-2

लेखक : जीत शर्मा वो अचानक बेड से उठा और कमरे से बाहर जाने लगा। मैंने सोचा शायद मज़ाक कर रहा है। अभी वापस आकर मुझे अपने आगोश में ले लेगा। मैं इसी तरह बेड पर पड़ी रही। एक हाथ से अपने बूब्स मसल रही थी और एक हाथ से अपनी पेंटी के ऊपर से […]

पूरी कहानी पढ़ें

मेरी मुनिया उसका पप्पू-1

लेखक : जीत शर्मा दोस्तो ! यह कथा मेरी कहानियों की एक पाठिका सिमरन कौर की है जिसकी अगले महीने शादी होने वाली है। उसने अपनी एक समस्या के बारे में मेरी सलाह माँगी है। मैंने इस सम्बन्ध में अपने मित्र प्रेम गुरु से चर्चा की थी, उन्होंने मुझे समझाया कि आजकल के पाठक बहुत […]

पूरी कहानी पढ़ें

छप्पर फाड़ कर-1

मैं काफ़ी देर से खिड़की के पास खड़ी थी और आपको और सुगंधा को सेक्स करते देख रही थी। आपको शर्म नहीं आती ऐसी घटिया हरकत करते हुए और वो भी अपनी चचेरी बहन के साथ।

पूरी कहानी पढ़ें

छुपाए नहीं छुपते-2

प्रेषक : कुमार बोसोन उसने मेरा लिंग अपने हाथों में पकड़ लिया और बोली- आपका लिंग तो बहुत बड़ा है। मैं चौंक गया, मैंने पूछा, “तुम्हें कैसे पता? तुमने तो आजतक सिर्फ़ मेरा ही लिंग देखा है। उसने फिर अपनी आँखें बंद कर लीं और शर्म से उसके गाल लाल हो गए। मैंने कहा- बता […]

पूरी कहानी पढ़ें

छुपाए नहीं छुपते-1

मेरे और सुगंधा के बीच प्रथम संभोग के बाद अगले दिन उसकी परीक्षा थी, जिसे दिलवाकर मैं शाम की ट्रेन से उसे गाँव वापस छोड़ आया। दो महीने बाद उसे महिला छात्रावास में कमरा मिल गया और उसकी पढ़ाई-लिखाई शुरू हो गई। तभी सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षाओं का परिणाम घोषित हुआ और मैं उनमें […]

पूरी कहानी पढ़ें

किरायेदार-9

लेखिका : उषा मस्तानी रजनी उठी और उसने मुस्करा कर मुझे देखा और जमीन पर बैठते हुए मेरा कुरता ऊपर उठाकर लोड़ा मुँह में ले लिया और एकाग्रता से लोड़ा चूसने लगी। कुछ देर बाद मैंने उसे हटा दिया और मुंडेर पर हाथ रखकर घोड़ी बना दिया। उसने टांगें फ़ैला ली थीं, चूत पीछे से […]

पूरी कहानी पढ़ें

किरायेदार-8

आधे घंटे में हम घर पहुँच गए। भाभी हम दोनों को देखकर बोलीं- रजनी क्या हो गया था? तेरे होटल से फोन आया था, तीन लड़कियाँ धंधा करते हुए पकड़ी गई हैं, उनमें तू भी है। राकेश बीच मैं बोल पड़ा- एसा कुछ नहीं था, होटल में दो लड़कियाँ पकड़ी गईं थी, यह बहुत घबरा […]

पूरी कहानी पढ़ें

किरायेदार-7

मैं सोमवार रात को 10 बजे आया, सुरेखा और दिन की तरह 11 बजे आकर मेरी गोद में नंगी बैठ गई और मुझसे चिपकते हुए बोली- आज तो चोदोगे न? मैंने निप्पल उमेठते हुए कहा- क्यों नहीं। सुरेखा से मैंने पूछा- तुम्हारी गांड में भी डाल दूँ? तुम बता रही थीं कि अरुण जब ज्यादा […]

पूरी कहानी पढ़ें

किरायेदार-6

लेखिका : उषा मस्तानी दो दिन बाद सुबह नल चलने की आवाज़ आई मैंने देखा तो 5 बज़ रहे थे। सुरेखा नहाने की तैयारी कर रही थी, मतलब वो वापस आ गई थी। सुरेखा अब भी मेरा दरवाज़ा बाहर से बंद कर देती थी। मैंने सुरेखा को अभी तक नहीं बताया था कि मैं रोज़ […]

पूरी कहानी पढ़ें

किरायेदार-5

लेखिका : उषा मस्तानी सपना ने मुझे आवाज़ लगाई- राकेश, कॉफी पिओगे? मैंने हाँ कर दी। दस मिनट बाद मैं नीचे कॉफी पीने आ गया, भाभी अकेली थीं, उन्होंने बताया कि बच्चों की कल छुट्टी है, भाईसाहब उन्हें पनवल बुआ के यहाँ ले गए हैं, कल रात को वापस आ जाएँगे। कॉफी पीने के बाद […]

पूरी कहानी पढ़ें