लड़कियों की मारता हूँ

यह कहानी केवल मनोरंजन के लिए है जिनका वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं है। मैं मध्यप्रदेश के एक गाँव की रहने वाली हूँ, मेरा नाम मोहिनी है, उम्र 23 साल है। यह बात आज से 4-5 साल पहले की है, मैं गांव से 10 मील दूर कॉलेज में पढ़ने के लिए जाती थी क्योंकि […]

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उन दिनों की यादें-1

प्रेषक : गुल्लू जोशी मेरा नाम गुलशन जोशी है। मुझे कॉलेज में किसी ऐसे विषय में एडमिशन लेना था जिसमें जल्दी नौकरी मिल सके। मुझे किसी ने होटल मेनेजमेन्ट में दाखिला लेने की सलाह दी। मैंने इस हेतु कुछ लोगों की राय भी ली। किसी ने कहा- भैया जी, मत जाना इस लाइन में, बहुत […]

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उन दिनों की यादें-2

प्रेषक : गुल्लू जोशी कहानी का पहला भाग: उन दिनों की यादें-1 अगले दिन मनोज एक नई सीडी लाया था। वो भी समलिंगी लड़कों की सीडी थी। रोज की तरह हम दोनों ने स्नान किया। मैं तो आज लुंगी में ही था। उसे भी मैंने एक लुंगी दे दी। मुझे लगा कि कुछ मामला हुआ […]

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किरदार-1

प्रेषिका : स्लिमसीमा खान मार्केट के ब्लू कैफ़े में उसे पहली बार देखा कला प्रदर्शनी के चित्रों को गौर से देखते, जैसे रंगों की जुबां समझने की कोशिश कर रही हो, बुक रीडिंग के बीच सर हिलाते, जैसे शब्दों को पी रही हो, तब उसकी गंभीरता और आत्मविश्वास उसके व्यक्तित्व से बिल्कुल मेल खाता नहीं […]

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किरदार-2

प्रेषिका : स्लिमसीमा “तुम यह काम क्यों कर रही हो? महज पैसे के लिए? क्या पैसा ही तुम्हारे लिए सब कुछ है?” “मैं इस प्रोफेशन में पैसे और सेक्स के लिए नहीं आई इसका उन्माद और अनुभव मुझे यहाँ तक खींच लाया !” “और तुम्हारे ग्राहक?” “प्लीज़ ! इस घटिया शब्द का इस्तेमाल न करें […]

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किरदार-3

प्रेषिका : स्लिमसीमा “जी नहीं ! अक्ल के लिए !” उसने गर्दन ऊँची करके कहा। “क्या निरे बेवकूफ हैं जो बार-बार तुमसे अक्ल मांगने चले आते हैं? उल्लू का मांस खाते होंगे !” गुस्से में मेरे मुँह से निकल गया। “जी नहीं, उनमें से ज़्यादातर तो वेजिटेरियन हैं।” “तो क्या तुम्हारे पास प्रवचन सुनने आते […]

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मदमस्त अंगड़ाई

प्रेषक : रवि सिंह बात उन दिनों की है जब मैं 19 साल का था। मेरे भाई की शादी थी। शादी में काफी सारे रिश्तेदार भी आये हुए थे। इन्हीं में से एक थी जिसने मेरी जिंदगी बदल थी। उसने मेरे अंदर सेक्स भर दिया या यूँ कहिये कि मुझे सेक्स के लिए पागल कर […]

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ससुर जी का महाराज-1

मेरा नाम खुशी है और अब मेरी उम्र 22 साल है. मैं एक बहुत सुंदर और जवान स्त्री हूँ, मेरा कद 5 फुट 6 इंच है और मेरा रंग बहुत साफ़ है. मेरा जिस्म बिल्कुल किसी कारीगर की तराशी हुई संगमरमर की मूर्ति की तरह है, लोग मुझे इस डर से नहीं छूते कि मेरे […]

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ससुर जी का महाराज-2

कहानी का पिछला भाग : ससुर जी का महाराज-1 मैंने महसूस किया कि मैं अपनी तृष्णा को अब और नहीं दबा सकती थी और उस लण्ड महाराज को चूसना और उसे अपनी चूत में लेकर जिंदगी का मजा लेना चाहती हूँ, मैं अपना अकेलापन दूर करना चाहती हूँ, अपनी सेक्स की भूख मिटाना चाहती हूँ. […]

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फोटोशूट

प्रेषक : अमेय अमेय को फोटोग्राफी का शौक था। कम उम्र से ही वह नियमित रूप से शादी और पार्टी के फोटोग्राफर के रूप में सप्ताहांत पर काम कर रहा था। अपने कॉलेज के दिनों के दौरान भी वह अपने खर्च के लिए फोटोशूट का सहारा लेता था। जब उसने अपनी कैमिस्ट्री डिग्री पूरी की, […]

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बाल ब्रह्मचारी पुजारी

प्रेषक : सियाराम प्रसाद सिंह उस समय की बात है जब मेरी उम्र सिर्फ़ 18 साल थी। मेरे घर से कुछ ही दूरी पर एक छोटा सा मन्दिर था। मन्दिर में नया पुजारी आया हुआ था। वह अपने को बाल ब्रह्मचारी कहता था, करीब 40 साल का था। देखने में सांवला मगर शरीर कसा हुआ […]

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आजादी दिवस पर गांड में लंड का मजा

प्रणाम पाठको, एक बार फिर से अपनी मस्त गांड चुदाई लेकर हाज़िर हूँ, काफी दिनों से मैंने अन्तर्वासना पर कुछ नहीं भेजा क्यूंकि मैं काल्पनिक और ख्याली पुलाव नहीं पकाता, चुदा तो मैं रहा था लेकिन किसी नए बंदे से नहीं मरवाई थी इसलिए कुछ नहीं लिख पाया। जैसे ही मैंने नये लंड लिए तो […]

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जब कंडोम फट गया

मेरा नाम वरुण है (बदला हुआ)। मेरी उम्र 23 साल है, दिल्ली का रहने वाला हूँ, लम्बा कद और मजबूत शरीर ही मेरी ताकत है। मेरे लण्ड का आकार 7 इंच है, मैंने 15 वर्ष की उम्र से ही जिम जाना शुरू कर दिया था इसलिए मेरा शरीर काफी गठीला बन गया है। कुछ साल […]

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कैरेक्टर ढीला है…

लेखिका : श्रेया अहूजा शाम के समय हर रोज मैं श्रेया, पीयू और निशा बायलोजी पढ़ने कालेज कैम्पस में ही सर के घर जाते थे। सर की उम्र करीब 30 साल थी और हमारी रही होगी अठारह उन्नीस … ! पीयू सर पर लाइन मारती थी… कहती थी वो सर को प्यार करने लगी है। […]

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काली टोपी लाल रुमाल-1

एक नटखट, नाज़ुक, चुलबुली और नादान कलि मेरे हाथों के खुरदरे स्पर्श और तपिश में डूब कर फूल बन गई और और अपनी खुशबूओं को फिजा में बिखेर कर किसी हसीन फरेब (छलावे) के मानिंद सदा सदा के लिए मेरी आँखों से ओझल हो गई।

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