स्वयंवर का सच-2

लेखक : प्रेम गुरु और अरमान मैंने झट से अपने कपड़े उतार दिए और फिर राखी के सारे गहने उतार दिए ताकि कोई परेशानी ना हो। उसके बाद मैंने उस के गालों पर एक छोटा और प्यार सा किस किया । वो तो बिलकुल भी नहीं शरमा रही थी। चोली के अन्दर मोटे ताजे दो […]

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मासूम यौवना-2

मैंने दसवीं की परीक्षा दी और गर्मियों की छुट्टियों में फिर ससुराल जाना पड़ा। इस बार मेरे पति स्वाभाव कुछ बदला हुआ था, वो इतने बेदर्दी से पेश नहीं आये, शायद उन्हें यह पता चल गया कि यह मेरी ही पत्नी रहेगी। मैं इस बार 4-5 दिन ससुराल में रुकी थी पर वे जब भी […]

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स्वयंवर का सच-1

लेखक : प्रेम गुरु और अरमान मैं जानता था कि यह राखी कपूर एक नंबर की चुद्दकड़ है। ये स्वयंवर वाली बात तो महज पब्लिसिटी बटोरने का एक तरीका है उसे कोई शादी वादी नहीं करनी है। ऐसी फुद्दैड़ औरतों को शादी विवाह और घर गृहस्थी जैसी बातों में तो ज़रा भी विश्वास नहीं होता। […]

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मासूम अक्षतयौवना-1

उन्होंने मेरा घाघरा उठाना शुरू किया, मैंने अपने दुबले पतले हाथों से रोकना चाहा मगर उन्होंने अपने मोटे हाथ से मेरी दोनों कलाइयाँ पकड़ कर सर के ऊपर कर दी.

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महकती कविता-3

कविता ने गाण्ड इतनी ऊँची कर रखी थी कि उसकी चूत तक भी स्पष्ट नजर आ रही थी। रोहण ने अपना हाथ उसके नीचे घुसा दिया और उसकी चूत को भी सहलाने लगा।

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महकती कविता-2

वो स्नान करके बाहर आई, पूरी भीगी हुई थी। उसने तौलिये के लिये नजर दौड़ाई। अभी वो मात्र पेंटी में ही थी और गीली पेंटी उसके कोमल चूतड़ों से चिपकी हुई थी।

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महकती कविता-1

रोहण के बन्द कमरे की पीछे वाली खिड़की से एक बार कविता ने रोहण को ब्ल्यू फ़िल्म देखते फिर मुठ्ठ मारते देख लिया था। वो भी जवान थी, उसके दिल के अरमान भी जाग उठे थे।

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बारिश की एक रात-2

कहानी का पिछ्ला भाग: बारिश की एक रात-1 मैं अपनी तारीफ सुन कर खुश हो रही थी और उसने देखा कि हल्की सी हंसी मेरे चेहरे पर दिख रही थी। वो मौके का फायदा उठाते हुए बोला- काश, कुछ और भी देखने को मिल जाता ! तो आज स्वर्ग का आनंद मिल जाता ! मैं […]

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बारिश की एक रात-1

मेरा नाम तनिषा है, मैं यहाँ अपनी कहानी पहली बार बताने जा रही हूँ, यह मेरी सच्ची कहानी है। मैं दिखने में बहुत सुन्दर और अच्छी बदनाकृति वाली लड़की हूँ, मेरे साथ पढ़ने वाली सारी लड़कियाँ मेरे बदन को देखकर जलती हैं और लड़के मुझे करिश्मा कपूर कह कर बुलाते हैं पर मैंने किसी को […]

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मेरी सहकर्मी वंशिका

मेरे ऑफिस की जन संपर्क अधिकारी का नाम वंशिका है। चूँकि हम दोनों हमउम्र हैं इसलिये एक दूसरे से कई प्रकार के मजाक भी कर लेती थीं। उसने बहुत बार मुझे अपने घर चलने को कहा और एक दिन मैं ऑफिस के बाद उसके घर चली गई। उसके माता-पिता ने मेरा बहुत सत्कार किया और […]

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काफ़ी है राह की इक ठोकर

‘नमस्कार चटर्जी बाबू, क्या चल रहा है?’ कहते कहते घोष बाबू दरवाज़ा खोल कर अन्दर आ गए। चटर्जी बाबू बरामदे में बैठे चाय की चुसकियाँ ले रहे थे। ‘कुछ खास नहीं घोष बाबू, बस अभी अभी दफ्तर से आया था, सोचा एक कप चाय ही पी लूँ !’ ‘बैठिए, एक कप चाय तो चलेगी?’ ‘नहीं […]

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बुलबुल और उसकी बेटी सोना-1

प्रेषक : वरिंदर सबसे पहले धन्यवाद सभी पाठकों का जिन्होंने मेरी हर कहानी को पढ़कर मुझे बहुत प्यार दिया। आज मैं एक बार फिर से अपनी नई कहानी आपके सामने लेकर हाजिर हूँ। शायद भगवान् ने मुझे लण्ड लगाते वक़्त लिख दिया होगा कि यह नीचे जाकर औरतों को खुश करेगा, पहले पिंकी, सोनिया, छोटी […]

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जिस्म की मांग-4

प्रेषिका : लीला “बाबू, तू मेरा प्यार है, चाहे अब मैं तेरी बाहर वाली बन कर रह गई हूँ, तुझसे चुदवाते हुए मैं किसी और को सामने नहीं रखती। बस पेलता जा मुझे ! उससे चुदने के बाद मैं जब अलग हुई तो कमरे का तूफ़ान थम गया। उसने रस से लथपथ अपने लौड़े को […]

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जिस्म की मांग-3

प्रेषिका : लीला एक के बाद जब मैंने दूजे से नाता जोड़ा, मतलब बाबू से नाता जोड़ा, यह जानते हुए कि वो मेरे जैसी से शादी नहीं करेगा, बस वो मेरे शौक पूरे करता था, बदले में मैं उसे अपनी जवानी देती, मुँह को जब कच्ची उम्र में सेक्स का रस चख जाए तो, ऊपर […]

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जिस्म की मांग-2

कहानी का पिछ्ला भाग: जिस्म की मांग-1 हम दोनों खड़े हुए, खून का धब्बा बोरे पर देखा- यह क्या हुआ? “तेरी जवानी की झिल्ली फटी है रानी !” “बिटटू मुझे धोखा मत देना, देख इसमें कोई शक नहीं रहा कि तुमने ही मेरी सील तोड़ी, यकीन करो पहला मौका तेरे संग है !” “फिकर मत […]

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