केले का भोज-6
ओ ओ ओ ओ ओ ह… खुद को शर्म में भिगोती एक बड़ी लहर, रोशनी के अनार की फुलझड़ी… आह.. एक चौंधभरे अंधेरे में चेतना गुम हो जाती है। ‘यह तो नहीं हुआ? वैसे ही अन्दर है !’… मेरी चेतना लौट रही है- अब क्या करोगी?’ कुछ देर की चुप्पी ! निराशा और भयावहता से […]